जौनपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद बनने वालो की समाज में जानें कितनी है ग्राह्यता


जौनपुर। लोकसभा चुनाव के घोषणा की उल्टी गिनती शुरू हो गई है चुनाव की तैयारियों लगे जिला प्रशासन के अधिकारी मान रहे है कि 14 अथवा 15 मार्च तक अधिसूचना जारी हो सकती है। ऐसे में सांसद बनने का सपना संजोये नेता गण दिल्ली लखनऊ अपने आकाओ के दरबार में मत्था टेक रहे है। टिकट की दावेदारी करते हुए खुद को जिताऊ प्रत्याशी बनाने का आकड़ा भी प्रस्तुत कर रहे है। लेकिन सच तो यह है कि जौनपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के दावेदारो पर नजर डाले तो कुछ ही चेहरे ऐसे है जिनके पास पार्टी के अतिरिक्त खुद के सम्बन्धो का वोट बैंक है।
यहां बता दे कि जौनपुर संसदीय क्षेत्र से पूर्व सांसद एवं बाहुबली नेता धनंजय सिंह ऐसे नेता है जिनके पास अपना जनाधार है लेकिन इनको सत्ताधारी दल अपने साथ नहीं जोड़ रही है। दूसरे नेता में लगभग पचास साल से जौनपुर की सियासी पिच पर जन जन को अपना बनाने वाले एवं सभी के सुख दुख के साथी कुंवर वीरेन्द्र प्रताप सिंह का नाम है जिनके साथ दलीय मर्यादाएं गौण हो जाती है। 
कुंवर वीरेंद्र प्रताप सिंह राजनैतिक सफर पर नजर डाले तो वह चेयरमैन जिला सहकारी बैंक, पूर्व-एमएलसी एवं अध्यक्ष जिला पंचायत रहे है उनका एक बड़ा एवं सन्माननीय कद भी है। इन दोनों लोगों में अंतर सिर्फ इतना है कि धनंजय सिंह का व्यक्तित्व-विवादित एवं बाहुबली का है जनाधार धनबल एवं बाहुबल पर आधारित और वर्चस्व अधिकांशत: दबंग लोगों में, विशेष-रूप से उनकी अपने स्वयं की विधानसभा मल्हनी में है और कुंवर वीरेंद्र सिंह का व्यक्तित्व- निर्विवादित और लंबी सियासत, राजनैतिक जीवन में प्रवेश लेने के बाद लगातार किसी न किसी पद पर बने रहने, विनम्र-व्यवहार, सरलता, सर्व-सुभलता और शिद्दत से संबंधों के निर्वहन पर आधारित जन- सामान्य में, जातीय एवं राजनैतिक-सीमा से परे है ! दोनों लोगों का पकड़ और प्रभाव भी काफी- हद तक कामन है। जनमत यह है कि इनके अलांवा जितने भी लोग माननीय बनने के लिए कुलांचे मार रहे है वह अवसर वादी से अधिक कुछ भी नहीं नहीं उनका कोई राजनैतिक जीवन है। टिकट न मिलने पर जनता के बीच से ऐसे गायब होगे जैसे सर सींग गायब होती है। जनता सब समझती है लेकिन राजनैतिक दल खास कर भाजपा समझना चाहिए जो 80 सीटे जीतने के लिए संकल्प ले चुकी है। 

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