आखिर डीएम की चौखट पर बैठी 14 साल की मां का दर्द प्रशासन क्यों कर रहा है अनसुना ?


कलक्ट्रेट परिसर में पहुंची एक बालिका की गुहार अफसरों के सभी दावों को झुठला रही थी। भीतर विधान परिषद की संसदीय अध्ययन समिति जन सुनवाइयों की समीक्षा चल रही थी तो बाहर 14 वर्ष की पीड़िता अपने परिवार वालों के साथ मुआवजा के लिए रो रही थी। जी हां जनपद प्रयागराज के शंकरगढ़ की बालिका बहशीपन की शिकार होकर 14 साल की उम्र में ही मां बन गई। वह अनुसूचित जाति जनजाति उत्पीड़न तथा अन्य मद से मुआवजे के लिए लगातार गुहार लगाती रही लेकिन महीनों बाद भी उसे मदद नहीं मिली।
उसने अगस्त में मुख्यमंत्री के यहां भी आवेदन दिया था। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस मामले में समुचित कार्रवाई का निर्देश भी दिया गया। इसके बावजूद बालिका को अभी तक मदद नहीं मिल पाई है। इससे दुखी बालिका और उसके परिजननों ने एक बार फिर कलक्ट्रेट में अर्जी दी और मदद की मांग की। ज्ञापन लेने पहुंचे अफसर ने समुचित कार्रवाई का आश्वासन तो दिया लेकिन अश्वासन पर अमल न होना प्रयागराज प्रशासन की मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। 

 

 

 

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