विधायक और सपा नेता के बीच मारपीट की घटना का जानें सच है क्या,आखिर जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं


जौनपुर। जनपद में सपा विधायक एवं सपा नेता के बीच विगत 23 अक्टूबर को प्रदेश महासचिव के स्वागत कार्यक्रम के दौरान हुई मारपीट की घटना में अब दोनों और से मामला पुलिस के पास पहुंच गया है पुलिस दोनो पक्षों का मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना शुरू कर दिया है। यहां पर एक अहम सवाल खड़ा होता है कि आखिर इस घटना के लिए जिम्मेदार कौन है क्या इसे पार्टी नेतृत्व गम्भीरता से ले रहा है। घटना के लिए उकसाने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी आदि सवाल जवाब आवाम जानने को बेकरार है।
घटना को लेकर छानबीन के बाद जो सच सामने आया है वह खासा चौकाने वाला है। पार्टी के कुछ जिम्मेदार नेताओ ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया है कि घटना के लिए पूरी तरह से डाॅ मनोज कुमार यादव जो एमएलसी चुनाव लड़ने का ताल ठोंक रहे है जिम्मेदार है। पहले तो उनके द्वारा कई बार गाड़ियो को ओवर टेक करने का काम किया गया इसके बाद जब उन्हे मना किया गया तो उनके द्वारा विधायक के प्रति अपशब्द का प्रयोग किया गया इसके बाद घटना होना लाजमी था। 
सपा नेता ने बताया कि विधायक और नव नियुक्त प्रदेश महासचिव तथा जिलाध्यक्ष सभी एक वाहन में सवार थे। डाॅ मनोज ने लखौवां बाजार के पास विधायक एवं उनके समर्थको के खिलाफ अपशब्दो का प्रयोग करते हुए ललकारने लगे तो मारपीट होना स्वाभाविक हो गया। अब यहां पर सवाल इस बात का है कि आखिर मनोज कुमार यादव ने अपशब्दो का प्रयोग क्यों किया था।यहां एक बात और भी है कि घटना केवल एक मामूली मारपीट तक सीमित रही है पार्टी जनों ने बीच बचाव किया था। लेकिन अब डाॅ मनोज कुमार यादव द्वारा मारपीट के साथ लूट को मुकदमा दर्ज करा दिया है। पुलिस सच जानते हुए तहरीर मिलने पर तुरंत बिना किसी छानबीन के ही विधायक के खिलाफ धारा 147, 148 ,323, 504, 506, और 394 भादवि के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। इसके बाद विधायक की तहरीर पर भी क्रास केसे धारा 147, 148, 323, 504, 506  भादवि के तहत दर्ज कर लिया गया है। 
इस तरह घटना को लेकर दी गयी तहरीरो के आधार पर मुकदमा पंजीकृत होने के बाद अब मामला पुलिस के पास पहुंच गया है। 
अब यहां पर एक बात और भी साफ है कि इस घटना में लूट की वारदात बताया जाना पूरी तरह से असत्य प्रतीत होता है।घटना महज मारपीट तक सीमित रही पार्टी के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे ऐसे में बगैर सच का पता लगाये पुलिस द्वारा तहरीर को आधार बनाकर मुकदमा लिख लिया जाना क्या न्याय की श्रेणी में आता है। इसके पीछे कोई बड़ी गहरी साजिश तो नहीं है। 

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