बसंत पंचमी पर एक नहीं चार-चार शुभ योग, जानें मुहूर्त और पूजन विधि


डाॅ जयेश मिश्र आचार्य 

जौनपुर।बसंत पंचमी का पर्व शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित है. इस दिन माता सरस्वती की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है. बसंत पंचमी का त्योहार इस साल 26 जनवरी 2023 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा.
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. ये पर्व शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित है. इस दिन माता सरस्वती की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है. बसंत पंचमी का त्योहार इस साल 26 जनवरी 2023 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. ज्योतिषियों का कहना है कि बसंत पंचमी इस साल बेहद खास रहने वाली है. इस वर्ष बसंत पंचमी पर एक नहीं बल्कि चार-चार शुभ योग बन रहे हैं.

बसंत पंचमी पर शुभ योग
शिव योग- इस साल बसंत पंचमी का शुभारंभ शिव योग में होगा. दरअसल 25 जनवरी को शाम 06 बजकर 15 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 26 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक शिव योग रहेगा.
सिद्ध योग- बसंत पंचमी पर शिव योग के समाप्त होते ही सिद्ध योग शुरु हो जाएगा. सिद्ध योग 26 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 27 जनवरी को दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग- 
बसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 06 बजकर 57 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 27 जनवरी को सुबह 07 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
रवि योग: बसंत पंचमी पर रवि योग भी बन रहा है. इस दिन शाम 06 बजकर 57 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 07 बजकर 12 तक रवि योग रहेगा.
बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त बसंत पंचमी का त्योहार माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 26 जनवरी को सुबह सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मान्य होगी. 26 जनवरी दिन गुरुवार को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है ।
बसंत पंचमी पूजन विधि ।

बसंत पंचमी के दिन सवेरे-सवेरे स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें. इस दिन पूरे विधि विधान के साथ मां सरस्वती की आराधना करें. मां सरस्वती की प्रतिमा को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें. उनकी पूजा में रोली, मौली, हल्दी, केसर, अक्षत, पीले या सफेद रंग का फूल, पीली मिठाई आदि चीजों का प्रयोग करें. इसके बाद मां सरस्वती की वंदना करें और पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को रखें।
पूजा स्थल की तैयारियों के बाद बच्चों को पूजा स्थल पर बैठाएं. इस दिन से बसंत का आगमन हो जाता है इसलिए देवी को गुलाब अर्पित करना चाहिए. गुलाल से एक-दूसरे को टीका लगाना चाहिए. बता दें कि मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी जैसे अनेक नामों से भी पूजा जाता है।
बसंत पंचमी पर ऐसे करें सरस्वती पूजन
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक जगह को साफ कर लें और सरस्वती की प्रतिमा रखें। कलश स्थापित कर सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें।  सरस्वती माता की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आमचन और स्नान कराएं। माता को पीले रंग के फूल अर्पित करें, माला और सफेद वस्त्र पहनाएं फिर मां सरस्वती का पूरा श्रृंगार करें। माता के चरणों पर गुलाल अर्पित करें। सरस्वती मां पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी चढ़ाएं।  माता को मालपुए और खीर का भोग लगाएं। सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी हैं। पूजा के समय पुस्तकें या फिर वाद्ययंत्रों का भी पूजन करें। 
कई लोग बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन हवन से करते हैं। अगर आप हवन करें तो सरस्वती माता के नाम से 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" इस मंत्र से एक सौ आठ बार जाप करें, साथ ही संरस्वती मां के वंदना मंत्र का भी जाप करें।
मां सरस्वती मंत्र
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च ।।
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता 
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ 
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं 
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। 
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ 
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥
बसंत पंचमी के दिन करें छोटे बच्चों का अन्नाप्राशन संस्कार
जो लोग अपने छोटे बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार करवाना चाहते हैं, वो बसंत पंचमी के दिन कर सकते हैं। दरअसल, जो बच्चे अभी तक केवल अपनी माता का दूध पीते हैं, लेकिन अब आप उन्हें अन्न खिलाना शुरू करना चाहते हैं, तो आज का दिन बड़ा ही अच्छा है।
बसंत पंचमी के दिन दूध चावल की खीर बनाकर सबसे पहले देवी सरस्वती को उसका भोग लगाएं । फिर बच्चे को नये कपड़े पहनाकर, लकड़ी की चौकी पर बिठाकर, चांदी की कटोरी में चांदी की चम्मच से घर के बड़े-बुजुर्ग अपने हाथ से बच्चे को खीर खिलाएं। अगर चांदी की कटोरी और चम्मच में खिलाना संभव न हो तो घर में मौजूद स्टील की कटोरी, चम्मच से भी खिला सकते हैं।

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