संकट के समय में गरीबों के साथ नहीं नजर आ रहे हैं जनप्रतिनिधि

 
      जौनपुर।  आज देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व कोविड 19 वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। इस महामारी के चलते पूरा भारत लाक डाऊन में है इस लाक डाऊन के चलते गरीब मजदूर जो रोज कमाई कर अपने पेट की भूख को शांत करते थे अब ऐसे गरीब मजदूरों  के समक्ष रोटी रोजी का संकट खड़ा हो गया है। इसीलिए गरीब मजदूर भूख से बेहाल है। केन्द्र और प्रदेश की सरकारो ने  आह्वान किया कि सरकारी एवं प्राईवेट स्तर पर प्रयास किये जाये कि कोई भूखे पेट न सोये। सरकार की इस अपील के चलते यहाँ जनपद में तमाम समाजसेवी संगठन एवं पूंजीपति अथवा व्यापारी गरीबों की मदत के लिए हाथ आगे बढ़ाया और सेवा में लगे है लेकिन जनपद जौनपुर में जनप्रतिनिधियों पर नजर डाली जाए तो बड़ी निराशा दृष्टिगोचर होती है। इक्का दुक्का छोड़ कर लगभग सभी जनप्रतिनिधि घरों में दुबक कर बैठ गये है। 
यहां बतादे कि जब चुनाव की बेला होती है और गरीबों मजदूरों से वोट लेना होता है तो राजनैतिक खास कर जनप्रतिनिधि गण कसमे खाते हैं कि हम गरीबों मजदूरों के सुख दुःख में उनके साथ नजर आएंगे 
 लेकिन आज कोरोना के चलते जब गरीब मजदूर भूख से बेहाल है तो जनप्रतिनिधि गण लापता है ।
जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा केवल भाषण बाजी भले ही की गयी हो अथवा सस्ती लोकप्रियता के लिए कुछ मास्क सेनेटाईजर बाँट दिया गया हो लेकिन गरीबों की भूख मिटाने के लिए  खाद्यान, सब्जी अथवा लंच पैकेट का वितरण नहीं किया गया है। नहीं गरीबों की पीड़ा जानने का प्रयास किया गया है।  जनप्रतिनिधि गण ऐसे दुबक कर बैठ है कि मानो जिले में कोई जनप्रतिनिधि है ही नहीं। जबकि गरीबों की मदत के लिए वे सभी मैदान में नजर आये जिन्हें न तो चुनाव लड़ना है नहीं वोट की दरकार है। 
अब यहाँ पर आवाम को समझना पड़ेगा कि जिले के जनप्रतिनिधि गण कितना उनके साथ खड़े हो सकते है। सूत्र की माने तो जनप्रतिनिधियों के खेल को अब आवाम समझने भी लगी है ।

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