अश्लील हरकतों से शिक्षा विभाग को शर्मसार करने वाले शिक्षक पर अपराधिक मुकदमा क्यों नहीं ?


जौनपुर।  अश्लील हरकतों को  लेकर पूरे शिक्षा जगत को शर्मसार करने वाले शिक्षक को केवल निलम्बित कर मामले को ठन्डे बस्ते में डाल देना शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारी बीएसए को सवालों के कटघरे में खडा कर रहा है। आखिर जब जांच में स्पष्ट आख्या आ गयी कि शिक्षक द्वारा प्रशिक्षु बीटीसी शिक्षिका के साथ विद्यालय के कक्ष में अश्लील हरकतें किया गया है तो बीएसए ने उसके खिलाफ मुकदमा क्यों पंजीकृत नहीं कराया। मात्र निलम्बन की कार्यवाही कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त कैसे हो गये है। यह एक गम्भीर सवाल है इसके पीछे का क्या खेल है यह जांच का बिषय है। 
यहाँ बतादे कि कि गत दिवस शोसल मीडिया पर विकास खण्ड धर्मापुर के ग्राम कबीरूद्दीनपुर प्राथमिक विद्यालय का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजकुमार भारती एक महिला के साथ अश्लीलता कर रहे हैं। महिला की शिनाख्त प्रशिक्षु अध्यापक के रूप में हुईं हैं। इस घटना के वीडियो के साथ पड़ोसी गांव के एकौना गांव के निवासी नागेन्द्र कुमार यादव ने शिकायती पत्र बीएसए सहित अन्य अधिकारियों को दिया था।
बीएसए ने खण्ड शिक्षा अधिकारी को जांच करने का आदेश दिया था।  इसी बीच इस खबर को सच खबरें पोर्टल ने प्रमुखता से प्रकाशित किया तत्पश्चात बीते 8 सितम्बर 20 को खण्ड शिक्षा अधिकारी ने मौके पर पहुंच कर जांच किया जांच रिपोर्ट में अश्लीलता की घटना सही पाये जाने का जिक्र करते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट बीएसए को दिया। बीएसए ने उसी रिपोर्ट के आधार पर शिक्षक को निलम्बित कर दिया है। 
यहाँ सवाल इस बात का है कि जब शिक्षक पर आरोप सही पाया गया तो कार्यवाही मात्र निलम्बन तक ही सीमित क्यों रही है। जिसकी हरकतों से पूरा बेसिक शिक्षा विभाग शर्मसार हुआ उसके विरुद्ध विधिक कार्यवाही क्यों नहीं किया गया। निलम्बन कितना बड़ा दण्ड है। जब शिक्षक बहाल होगा तो पूरे वेतन के साथ बहाल हो सकेगा। विभाग में इस बात की चर्चा है ।
 शिक्षा विभाग के ही लोग बीएसए पर ऐसे कामान्ध शिक्षक को बचाने का आरोप लगा रहे हैं। शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का मत है कि इसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाना चाहिए था साथ ही शिक्षा विभाग को कलंकित करने के आरोप में इसे शिक्षा की सेवा से मुक्त करने का दण्ड दिया जाना चाहिए था 
ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक विभाग को शर्मसार करने का साहस न कर सके। 
विभाग के लोगों का यह भी कथन है कि बीएसए की इस तरह की कार्यवाहियों से अब शिक्षा विभाग में महिला कर्मचारियों को अपनी अस्मिता बचाना कठिन हो जायेगा। अश्लील हरकत करने वाले कर्मचारी पर मात्र निलम्बन की गाज होगी जो बहाली के समय मय ब्याज के वापस हो सकती है। इसलिए बीएसए को पुनः अपने निर्णय पर विचार करते हुए अश्लीलता में संलिप्त शिक्षक को सलाखों के पीछे भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए।  

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