शिक्षक एमएलसी के चुनाव में 12 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे 32640 शिक्षक मतदाता

 

कपिल देव मौर्य 
जौनपुर। वाराणसी खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए सदस्य विधान परिषद के चुनाव का बिगुल बजते ही माननीय बनने की आकांक्षा संजोये शिक्षक नेता राजनैतिक दल अथवा निर्दल चुनावी जंग में कूद पड़े हैं। ज्ञातव्य हो कि वाराणसी खण्ड मे कुल 8 जनपदों को शामिल किया गया है। जहां के शिक्षक गण इस चुनाव में मतदान की प्रक्रिया मे भाग लेते हुए अपने नेता सदस्य विधान परिषद का चुनाव करेंगे। 
वाराणसी खण्ड निर्वाचन क्षेत्र से कुल 12 प्रत्याशी चुनाव के मैदान में है इसमें एक प्रत्याशी लाल बिहारी यादव जनपद आजमगढ़ समाजवादी पार्टी के बैनर तले चुनाव की जंग में है शेष 11 प्रत्याशी निर्दल चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन कुछ एक दो को राष्ट्रीय राजनैतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। इस चुनाव में सभी 8 जनपदों के 32640 मतदाता शिक्षक है जिनका नाम मतदान के लिए अधिकृत सूची में है जो मतदान करेंगे। चुनाव लड़ने वालों में सपा के अधिकृत प्रत्याशी के अलावा डा कृष्ण मोहन यादव बलिया, चेत नरायन सिंह वाराणसी पूर्व एम एल सी,जीतेन्द्र कुमार सिंह  वाराणसी, धर्मेन्द्र कुमार यादव जौनपुर, प्रमोद कुमार मिश्रा वाराणसी, फरीद अंसारी गाजीपुर, बृजेश वाराणसी, रजनी द्विवेदी वाराणसी, रमेश कुमार सिंह जौनपुर, राजेन्द्र प्रताप सिंह चन्दौली, संजय कुमार सिंह चन्दौली का नाम है। 
यहाँ बतादे कि यह चुनाव आम जनता का नहीं बल्कि शिक्षकों का है जो समाज को शिक्षित बनाने का काम करता है। चुनाव लड़ने वाले इन सभी निर्दल प्रत्याशियों में चेत नरायन सिंह दो बार सदस्य विधान परिषद रह चुके हैं और वर्तमान चुनाव में इन्हें भाजपा का समर्थन प्राप्त है। इसके अलावां सपा के अधिकृत प्रत्याशी लाल बिहारी यादव है। ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि चुनावी जंग किसके बीच हो सकती है और निर्दल प्रत्याशी इसमें कितने सशक्त हो सकते है। दो बार सदस्य विधान परिषद रह चुके चेत नरायन सिंह अपने कार्य काल में शिक्षको के लड़ी लड़ाईयों को मतदाताओं के समक्ष रखते हुए वोट की अपेक्षा  कर रहे हैं। तो लाल बिहारी यादव सपा के सपाइयों से वोट की अपेक्षा किये बैठे हैं। निर्दल भी खुद को शिक्षक समाज का सबसे बड़े हितैषी बता रहे हैं। लेकिन चुनाव से पहले किसी निर्दल प्रत्याशी को किसी शिक्षक के लिये लड़ाई लड़ते नहीं देखा गया था। सबसे बड़ी बात यह है कि पढ़ा लिखा यह समाज दल अथवा समर्थित दल के साथ जाना पसंद करेगा या निर्दल के साथ रहेगा यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न है। 
इस चुनाव में माननीय बनने की आकांक्षा रखने वाले कुछ ऐसे प्रत्याशी है जिनका इतिहास भ्रष्टाचार की जद में रहा है शिक्षक नेता बन कर खुद अपना और अपने परिवार को लाभ पहुंचाने का काम किया है ऐसे में यदि शिक्षक समाज ऐसे लोगों को अपना नेतृत्व दे देगा तो क्या वह उसकी बात सदन में उठायेंगे अथवा खुद लाभान्वित होने की कोशिश करेंगे। 
चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के बिषय में शिक्षक मतदाताओं से बात चीत करने पर इतना तो पता चला है कि जंग तो दो अथवा तीन प्रत्याशियों के बीच होनी है शेष का क्या हश्र होगा यह तो मतगणना के बाद पता चलेगा लेकिन पढ़ा लिखा यह समाज सभी प्रत्याशियों की समीक्षा शुरू कर दिया है ताकि वह एक जुझारू एवं कर्मनिष्ठ, इमानदार शिक्षक हितैषी को अपने नेतृत्व की चाभी सौंप सके। 

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