हिन्दू इन्टर कालेज मुंगराबादशाहपुर के प्रबंध तंत्र में फर्जीवाड़ों के आगे असली हो गये हवा
जौनपुर। हिन्दू इंटर कालेज मुंगराबादशाहपुर हिन्दू हाई स्कूल सोसायटी द्वारा संचालित व संस्थापक स्व यमुना प्रसाद गुप्ता द्वारा 1923 में स्थापित संस्था है। लेकिन जाल फरेब करके इसे कुछ जालसाजों ने हथिया लिया अब सरकारी मशीनरी भी इनके आगे नतमस्तक हो चुकी है तभी तो नियमों की अनदेखी करके धनोपार्जन हेतु मनमानी किया जा रहा है। सोसायटी के मूल के लोग सरकारी मशीनरी के चौखट पर एड़ियां रगड़ने को मजबूर हो गये है लेकिन किसी भी स्तर से न्याय नहीं मिल रहा है।
यहाँ बतादे कि संस्थापक परिवार से सोसायटी के आजीवन सदस्य बृजेश कुमार गुप्त का आरोप है कि गत 27 सितम्बर 20 को चुनाव अधिकारी मंजूलता वर्मा द्वारा साधारण सभा के सदस्यों की बिना वैध एवं मान्य सूची सोसायटी कार्यालय वाराणसी से प्राप्त किए ही उक्त कालेज के प्रबंध तंत्र का चुनाव करा दिया गया ।इसकी शिकायत संबंधित विभाग में किया था। जिसमें चुनाव अधिकारी कालेज परिसर में चुनाव कराने के बजाय स्थल परिवर्तन कर राजकीय बालिका इंटर कालेज जौनपुर में बड़े ही नाटकीय ढंग से चुनाव करा दिया है। जिससे साधारण सभा के सदस्य गण अपने संवैधानिक मताधिकार से वंचित हो गए। जबकि सहायक निबंधक फम्स सोसायटीज एवं चिट्स फंड से जारी पत्रांक संख्या 1151/आई-798सूचना 2020-21/वाराणसी दिनांक 7-10-2020 द्धारा सूचित किया गया है कि कार्यालय से साधारण सभा की कोई विधि मान्य व अनुमोदित सूची जारी नहीं किया गया है। ऐसे में यह चुनाव किसी भी दृष्टि से वैध नहीं कहा जा सकता है। चुनाव अपने आप अस्तित्व हीन होकर अति गंभीर जांच विषयक बन गया है तथा संलिप्त लोगो की गतिविधियां संदेह के घेरे में आ गयी हैं।
शिकायत कर्ता ने चुनाव में प्रयोग किए गए अन्य विंदुओं से सम्बंधित शिकायत सांसद बीपी सरोज, डीएम व जिला विद्यालय निरीक्षक सहित विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायत पत्र देकर किया था। शिकायत पत्र में दिखाया गया है कि चुनाव अधिकारी द्वारा कराए गए चुनाव में पक्षकार के रूप में प्रार्थी को भी जानकारी न देना, वहां से निकाली गई सूची की वैधता की अनदेखी करना, स्थान परिवर्तन व वैध सूची का प्रयोग न करना आदि तमाम कमियां है। बड़े मजे की बात तो यह है कि जो नकल के रूप में सोसायटी कार्यालय से दो भिन्न भिन्न साधारण सभा के सदस्यों की सूची का नकल एक विपक्षी व दूसरी प्रार्थी निर्गत हुआ है, उन दोनों पर साफ लिखा गया है कि यह जारी नकल न तो वैधानिक है और न चुनाव के लिए विधि मान्य है।
ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर किस सूची से चुनाव अधिकारी ने चुनाव कराया है इसे सार्वजनिक करना चाहिए । जिस सूची से चुनाव कराया गया उस सूची पर सहायक निबंधक अधिकारी का हस्ताक्षर भी नही है। सिर्फ हस्ताक्षर अधिकृत नकल बाबू का है। बगैर अधिकारी के हस्ताक्षर की सूची से चुनाव करना अपराध की श्रेणी में आता है।
शिकायत कर्ता द्वारा असंवैधानिक ढंग से निर्वाचित कमेटी को मान्यता न देने, मान्यता को रद्द करने, चुनाव अधिकारी सहित संलिप्त लोगों के खिलाफ अपराधिक कार्रवाई करने तथा वैध सूची से निष्पक्ष चुनाव करवाने की मांग की गई है। सांसद बीपी सरोज को दिए गए शिकायत पत्र को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने अनुमोदन के पूर्व शिकायत के विंदुओं की जांच करने के लिए डीआईओएस को आदेशित किया है। वहीं डी आई ओ एस के यहां से जारी पत्र में जांच विंदुओं में भी निस्पक्षता व मूल तथ्यों को छिपाया गया है। इसी बावत डीआईओएस ने शिकायत से संबंधित पांच विंदुओं की सूचना चुनाव अधिकारी से तीन दिन के भीतर देने से संबंधित पत्र जारी किया है। जिसमें विधि मान्य सूची उपलब्ध कराना आदि है। जबकि जारी पत्र में दिनांक व पत्रांक संख्या न लिखने की भूल ने संदेहात्मक स्थित पैदा कर दिया है। सैकड़ों सदस्यों द्वारा भेजे गए हस्ताक्षर युक्त पत्र की जांच कराने, पक्षकार को सूचना देने से संबंधी जानकारी की साक्ष्य, स्थान परिवर्तन का आदेश आदि सरीखे अन्य प्रमुख विंदुओं को इस जारी पत्र में शामिल करने की विभाग द्वारा यहां पर भी धोखाधड़ी की गई है। सैकड़ों सदस्यों ने संबंधित विभाग को हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजकर नाराजगी जताते हुए न्याय की गुहार लगाई है। गौरतलब है कि उक्त चुनाव अधिकारी ने 5 सितम्बर 17 में भी बिना वैध सूची प्राप्त किए ही चुनाव कराया था। इसके लिए चुनाव अधिकारी व पर्यवेक्षक को दोषी ठहराया था। जिस बात का उल्लेख तत्कालीन डीआईओएस बृजेश मिश्रा ने अपने विवेचना रिपोर्ट में उल्लेखित किया है। फिर इसके बावजूद भी भ्रष्टाचारी को चुनाव अधिकारी बनाया जाना शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों का अवैध रूप से धन कमाने के लिए सोची समझी घृणित चाल कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा। खबर तो यह कि प्रभारी डीआईओएस/बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जाल फरेब करने वालों से मोटी रकम ऐंठ कर सभी नियमों को ताख पर रख दिया और अपनी मनमानी कर दिया है। जो भी अधिकारी के इस असंवैधानिक खेल से प्रबन्ध समिति के असली लोग अधिकारियों की चौखटों पर एड़ियां रगड़ रहे है और नकली लोग मलाई काट रहे है।
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ReplyDeleteसमस्त प्रपत्रों के साथ माननीय उच्च न्यायालय की ओर रुख करें। तुरंत राहत मिलेगी।
ReplyDeleteWithout delay move to Hon'ble High Court along with all the necessary and relevant documents. Will get stay order and direction to held proper, fair and valid election.
Ajay Upadhyay
Advocate, High court of ALLd.
9984997050
7007445506
कुछ नही होगा मान्यवर, चुनाव गलत तरीके से ही सही लेकिन वैध है। हारने वाला प्रत्यासी हमेसा जितने वाले को गलत ही ठहराता है। और ये हाईकोर्ट जाएंगे भी तो खरे साहब और ओझा साहब को हायर करेंगे।।
Deleteचुनाव के दिन अपनी हवा खराब देख कर भाग लिए। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर संज्ञान लेकर निदेशक वाराणसी ने चुनाव का आदेश दिया जिला विद्यालय निरीक्षक के देख रेख में चुनाव सम्पन्न हुआ। सैकड़ो सदस्य मतदान करने पहुंचे। पूरी चुनाव प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई। सांसद जी से लेकर अधिकारियो तक सभी जगह अपनी भदद पिटवाने के बाद अब सभी को बेईमान कह रहे हैं। न्यायालय, शिक्षा निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक, जिलाधिकारी, माननीय सांसद, बेसिक शिक्षाधिकारी, चुनाव अधिकारी ( शासन द्वारा नियुक्त), चुनाव पर्यवेक्षक (जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा नियुक्त), चुनाव की सुरक्षा में लगे कोतवाल सब झूठे और बेईमान हैं, बस ये ही सही है बिना किसी सबूत के। न्यायालय जाने की हिम्मत नही हो रही, अब ऑनलाइन माध्यम से अपने झूठ का प्रचार कर रहे हैं। संस्था किसी की विरासत नही होती। sachkhabr से भी अनुरोध है कि ऐसे किसी भी खबर की सत्यता जांच लेने के बाद ही प्रकाशित करें। बृजेश कुमार गुप्त कई समाचार पत्रों से अपनी करतूतों के कारण डिबार हो चुके हैं अतः ऐसे लोगों से सावधान रहें।
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