विभाजन की विभीषिका पर चर्चा स्मृतियां सुन खड़े हो गए लोगों के रोंगटे


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में आजादी का अमृत महोत्सव सप्ताह के अन्तर्गत 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में वक्ताओं द्वारा उनके परिवारों पर विभाजन की विभीषिका के दर्द को सुनकर लोगों की आंखें नम हो गई.
 इस अवसर पर पाकिस्तान के मीरपुर पंजाब से विस्थापित हुए अब लखनऊ में रह रहे पीड़ित परिवार के सरदार स्वर्ण सिंह ने कहा कि विभाजन वस्तु का ठीक है मुल्क का कष्टकारी होता है। उन्होंने कहा कि जो लोग बंटवारे के शिकार हुए वे कितने दर्द सहे होंगे इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि १९४७ का विभाजन बहुत महंगा था इसका कोई हल निकाला जाना चाहिए था। उन्होंने अपने पूर्वजों की स्मृतियों को साझा किया तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। फेसबुक के माध्यम से पाकिस्तान के अपने घर की वीडियो मंगाकर प्रदर्शित किया.
कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि यह विभाजन एक विभीषिका को लपेटे हुए था। विभाजन के दर्द को आज भी लाखों लोग महसूस करते है. इस विभाजन में सजीव तो बंटे निर्जीव का भी बंटवारा हुआ, इसलिए इसकी विभीषिका को आज तक लोग नहीं भूल सकें।
पाकिस्तान के फ्रंटियर प्रान्त से विस्थापित हुए दीपक चिटकारिया ने अपने परिवार की विभीषिका सुनाया तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि जो लोग आजादी के लिए एकजुट होकर लड़े वह विभाजन में एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये। उन्होंने कहा कि देश भक्ति ऐसा नशा है जो गद्दारों पर चढ़ेगा नहीं और देशभक्तों पर उतरेगा नहीं।
कुलसचिव महेंद्र कुमार ने कहा कि 14 अगस्त का विभाजन जमीन का नहीं दिल का हुआ था। उन्होंने कहा कि राष्ट्र पहले है इसके बाद अन्य चीज।
इस अवसर पर भारत सरकार द्वारा विभाजन की विभीषिका पर भेजी गई सामग्री का डिजिटल प्रदर्शन हुआ. इसके साथ ही चिल्ड्रेन ऑफ़ पार्टीशन वृतचित्र एवं विभाजन की विभीषिका पर कई वीडियो दिखाएं गए. उत्तर प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा नामित लोक गायक आशीष पाठक अमृत द्वारा देशभक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. इसके पूर्व द्रोपदी  छात्रावास में भारत माता के पूजन अर्चन का कार्यक्रम संपन्न हुआ.  स्वागत एवं विषय प्रवर्तन हर घर तिरंगा के नोडल अधिकारी डॉ. मनोज मिश्र ने किया. 

संचालन डॉ जान्हवी श्रीवास्तव एवं आभार अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी प्रो. अजय प्रताप सिंह  ने किया.
इस अवसर पर प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. अजय द्विवेदी, प्रो मानस पाण्डेय, प्रो रजनीश भास्कर, प्रो संदीप सिंह,प्रो देवराज सिंह, डॉ प्रमोद यादव, डॉ सुनील कुमार, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ रसिकेश, डॉ धीरेन्द्र, ए आर अजीत प्रताप सिंह, अमृत लाल, दीपक सिंह, डा. मनोज पांडेय, संजीव गंगवार, वनिता सिंह, अनु त्यागी, रामजी सिंह, पी के कौशिक समेत तमाम लोग उपस्थित रहे.  


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