मध्य प्रदेश की घटना को लेकर जौनपुर में अलर्ट,,शासन के निर्देश पर औषधि निरीक्षक नेकफ सिरप के लिए नमुने


हरिओम हॉस्पिटल जौनपुर में कब सिरप का सैंपल लेने से हड़कंप

जौनपुर। प्रदेश के खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन लखनऊ के विशेष निर्देश पर जिला औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय के निर्देशन में गठित स्पेशल टीम ने सोमवार को शहर के हरिओम अस्पताल पुलिस लाइन हुसैनाबाद जौनपुर में रेंडम चेकिंग की।
टीम ने इस दौरान बच्चो के 3- खांसी की दवा कफ सिरफ का नमूना लिया है। जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि प्रतिष्ठान का लाइसेंस जिस स्थान के लिए दिया गया है । दुकान का संचालन किसी अन्य स्थान पर किया जा रहा है।
टीम ने उन्हें बताया कि मध्य प्रदेश में कफ सिरप के उपयोग से बच्चों के मृत्यु की घटना को संज्ञान में लेते हुए करवायी की गयी है। इस प्रकार की घटना खांसी की दवा में मिलाया जाने वाला एक्सीपिएंट पीईगी और डीईजी की अशुद्धियों के कारण हुई थी।
हरिओम हॉस्पिटल भी बच्चों का हॉस्पिटल है। जहाँ कफ सिरप के तीन नमूने परीक्षण और विश्लेषण के लिए ले लिए गए हैं। मेडिकल स्टोर में जांच के दौरान काफी कमियों के साथ चलता पाया गया।
उदाहरण के लिए फर्म का संचालन उस स्थान से बाहर संचलित किया जा रहा है। जहां लाइसेंस के दौरान नक्शा प्रस्तुत किया गया था।
खुद संचालक ने दुकान का लाइसेंस लेने से पहले
किसी तथ्य को न छिपाने का शपथ पत्र भी दिया है। बावजूद इसके तथ्यों को छुपा कर दूसरे स्थान पर प्रतिष्ठान का संचालन करना घोर अपराध की श्रेणी में आता है।
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि एक्सपायरी दवा रखने के लिए उचित स्थान तय नहीं किया गया था ।
मरीज़ को उपयोग होने वाली दवा की अनुसूची एच/एच वन का रिकॉर्ड नहीं रखा गया।
डॉ. अरविंद सिंह को कमियो के निराकरण के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। सलाह दी गई की 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे को कफ सिरप न दे।
जब तक कि बहुत जरूरी न हो। नमूने को प्राथमिकता से परीक्षण के लिए भेज दिया गया है। अगली कार्रवाई औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एवं उसके नियम 1945 के अनुसार की जाएगी।

बाक्स

तथ्यों को छुपा कर लिया लाइसेंस
जौनपुर।
जिले इस प्रतिष्ठित अस्पताल में संचालित मेडिकल स्टोर का लाइसेंस जिस स्थान पर संचालित किए जाने का शपथ पत्र दिया गया । उक्त स्थान पर संचालन न करके दूसरे स्थान पर संचालन करना खुद बड़े अपराध की श्रेणी में आता है।
जबकि लाइसेंस लेने से पहले आवेदन कर्ता ने इस बात का नोटिस शपथ पत्र दिया कि हमने किसी भी तथ्य को कोई छुपाया नहीं है। ऐसे में तथ्यों को छुपा कर लाइसेंस प्राप्त करना गंभीर अपराध है।
इस संबंध में जिला औषधि निरीक्षक रजत कुमार पांडेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि तथ्यों को छुपाना बेहद ही गंभीर अपराध है। शासन में इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी।

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