सवालःक्या पुलिस कानून के दायरे से हट कर सत्ता धारी दल के नेताओं के दबाव में काम करेगी ?



जौनपुर । जनपद की पुलिस अपराधिक घटनाओं के बाबत संवैधानिक व्यवस्था अथवा पुलिस विभाग के अधिकारियों के दिशा निर्देश पर चलता है अथवा सत्ता धारीदल के नेताओं के इशारे पर चलता है यह एक यक्ष प्रश्न जनपद मुख्यालय पर स्थित थाना लाईन बाजार की पुलिस की कारगुजारी ने खड़ा कर दिया है। सवाल आखिर पुलिस ने तमाम संगीन धाराओं के अपराधी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने के बजाय क्यों और कैसे छोड़ दिया है। 
जी हां यहाँ बतादे कि विगत माह मार्च के 19 तारीख को दिन दहाड़े सरे बाजार थाना लाइन बाजर क्षेत्र स्थित निकट टीवी अस्पताल आराध्या फर्नीचर की दुकान पर चढ़ कर 8 से 10 की संख्या बदमाशो ने पत्रकार राजकुमार सिंह के पुत्र प्रियंजुल सिंह को बुरी तरह से मारा पीटा इतना मारा कि वह मरणासन्न स्थिति में पहुंचा तो छोड़ कर भागे। उनका ऐसा आतंक था कि कोई मदत तक करने का साहस नहीं दिखा सका। 
इस घटना को लेकर पहले पुलिस मुकदमा ही लिखने से परहेज कर रही थी। जब पत्रकार एक जुट हुए तब जाकर मुकदमा धारा 147, 148, 307, 395, 427, 452  भादवि सहित 7 सीएलए एक्ट के तहत दर्ज किया गया। इसके बाद सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई से परहेज करती दिखी तो फिर पत्रकार आन्दोलन की राह पकड़े इसके बाद थोड़ा एक्शन में नजर आयी। हलांकि की नाम जद अभियुक्तों को तब भी इस लिये नहीं पकड़ा कि सत्ता धारी दल के नेताओं का संरक्षण था। 
घटना के काफी समय बाद घटना के विवेचक ने घटना में शामिल बदमाश अजय चौहान को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के कुछ ही समय बाद भाजपा के जफराबाद विधायक का फोन थाना प्रभारी के पास पहुंचता है और अभियुक्त थाने से छूट जाता है। थाना प्रभारी के इस कृत्य और मीडिया के दबाओ की खबर विवेचक द्वारा अपने उच्च अधिकारी को भी बताया गया लेकिन मामला ढाक का तीन पात बना कर रख दिया गया। 
इस तरह इस घटना के बाबत पुलिसिया कार्यवाही इस बात का संकेत देने लगी है कि पुलिस नियम कानून के बजाय सत्ताधारी दल के जन प्रतिनिधियों के इशारे अथवा दबाव में काम करते हुए कानून का माखौल उड़ा रही है। अधिकारी भी सत्ता धारी दल के नेताओं के सामने घुटने टेकते नजर आ रहे है। यहां पर एक सवाल यह भी उठता है कि जब मीडिया जिसके सुरक्षा का दम्भ केन्द्र व प्रदेश की सरकारे भरती नजर आती है जब उसके साथ घटित घटना का यह हश्र हो रहा है तो आम जनता के साथ कैसे न्याय होता होगा। क्या घटना उपरोक्त में अब न्याय पाने की अपेक्षा छोड़ देना चाहिए। 

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