लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की पेन्शन और सुविधा रोकना प्रशासन की मनमानी - सुरेन्द्र प्रताप सिंह


पूरी कार्यवाई नियम संगत और शासनादेश के अनुरूप हुई है - मनीष कुमार वर्मा डीएम 

जौनपुर। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक सुरेंद्र प्रताप सिंह ने आज अपने ही सरकार के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और मनमाने पन का आरोप लगाते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। हलांकि कि जिम्मेदार अधिकारी आरोप को गलत एवं बेबुनियाद बताते हुए पूर्व विधायक के आरोपो पर पुनर्विचार की बात कर रहे है। 
पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह का कथन है कि जौनपुर जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने गलत तथ्यों के आधार लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को दी जानें वाली सरकारी सुविधाओ को रोक कर उनका अपमान किया है इस मुद्दे को सरकार के जिम्मेदार लोंगो के समक्ष रखा जायेगा। श्री सिंह ने तफसील से मामले की चर्चा करते हुए कहा कि सन् 1975 से 20 मार्च 77 तक इमरजेंसी के समय राजनैतिक कारणों को लेकर आन्दोलन करते समय जो भी जेल में बन्द किये गये थे। उन्हे उप्र की सरकार ने लोकतंत्र सेनानी घोषित करते हुए परिवहन, मेडिकल आदि की सुविधाओ को प्रदान करते हुए सम्मान राशि पेन्शन के रूप में दे रही थी। जौनपुर में ऐसे 240 लोग लोकतंत्र रक्षक सेनानी का सम्मान पा रहे थे। 
सरकार ने 2016 में इसको लेकर कानून भी बना दिया था कि विभिन्न साक्ष्यों और जेल रिकॉर्ड के अनुसार जिलाधिकारी को लोकतंत्र रक्षक सेनानी घोषित करने का अधिकार दे रखा था। हां समय समय पर यूपी सरकार इसकी जांच भी कराती रहती थी। इसी का लाभ उठाते हुए जौनपुर जिला प्रशासन ने जिले के 240 लोकतंत्र रक्षक सेनानियों में से 14 लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को अयोग्य घोषित करते हुए मिलने वाली सुविधाओ और पेन्शन को रोक लगा दिया और शासन को भेज दिया है जो पूर्ण रूप से गलत एवं सेनानियों का घोर अपमान भी है। अयोग्य घोषित करने का आधार आपात काल के पहले और बाद में लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के उपर अन्य अपराधिक मुकदमा दर्ज होना बताया जा रहा है। पूर्व विधायक कहते है कि शासनादेश के मुताबिक किसी के विरूद्ध अपराधिक मुकदमा दर्ज होना सम्मान राशि रद्द करने का आधार नहीं हो सकता है। राजनैतिक संघर्षो के दौरान राजनैतिको पर मुकदमें तो होते रहते है। हां अगर कोई हीनियस क्राइम माफिया गिरी आदि के मुकदमें होने पर पेन्शन नहीं दी जा सकती है ऐसा शासनादेश है। साथ ही सवाल भी किया कि जब लोकतंत्र रक्षक सेनानी बनाये गये तो प्रशासन के लोंगो ने छानबीन करके ही लोकतंत्र रक्षक सेनानी बनाया था। पूर्व विधायक ने लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की सुविधाओ और पेन्शन को रोकने वाले अधिकारी को पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया है। 
इस संदर्भ में जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से बात करने पर उन्होंने बताया कि शासन से मिले निर्देश के क्रम में जांच करायी गयी है। हलांकि अभी तो लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की सुविधाओ और पेन्शन को रोका गया है। कम्पलेन मिली है पुन: पूरे मामले की शासनादेश के निर्देश के तहत जांच करा ली जायेगी अगर सही पाया गया तो सुविधाओ और पेन्शन को पुन: चालू करा दिया जायेगा। एक महत्वपूर्ण बात जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि शासन के गाइडलाइन के अनुसार ही जांच करायी गयी है। जो भी हो पूर्व विधायक 14 लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के खिलाफ की गयी कार्यवाई को नियम विरुद्ध बता रहे है तो जिलाधिकारी नियम संगत कार्यवाई मान रहे है। हलांकि लोकतंत्र रक्षक सेनानी इस मुद्दे को अब सरकार के समक्ष ले जानें की तैयारी कर रहे है। 

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