जनपद में प्रशासनिक अधिकारीयों के कार्य शैली की पोल खोल रही है राजकीय कालोनी


जौनपुर। जिला प्रशासन के अधिकारी पूरे जनपद में विकास और स्वच्छता अथवा सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का चाहे जितना दावा करे लेकिन जिला प्रशासन के नाक के नीचे प्रशासन की सरकारी कालोनी हुसेनाबाद की दशा दुर्दशा प्रशासन की कार्यशैली को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रही है। इस सरकारी कालोनी से गुजरने वाले जिला प्रशासन को अनवरत कोसते नजर आते है।
बतादे कि राजकीय कर्मचारियों के लिए कलेक्ट्रेट के बगल में एक सरकारी कालोनी बनी है जिसमें सरकारी कर्मचारीयो का आवास है इस कालोनी के मध्य से सड़क मार्ग जो आस पास की प्राइवेट कालोनियों को जोड़ता है। इस मार्ग सहित आस पास के गलियों की दशा विगत लगभग एक साल से इतनी खराब हो गयी है कि यदि उसे बूचड़ खाना कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।
सड़क से लेकर गली तक पर गन्दा पानी बहता रहता है। सड़क सहित गलियों को खोद कर ऐसे छोड़ दिया गया है इस सरकारी कालोनी में तारकोल वाली सड़क पूरी तरह से गायब हो गयी है। गांव की पगडंडी जैसी स्थिति नजर आ रही है। इसके अलावां इस कालोनी में कूड़ा का अम्बार लगा हुआ है जिसके कारण आस पास का पूरा वातावरण प्रदूषित रहता है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।


इस कालोनी सहित बाहर से आने जाने वाले लोगों को सड़क पर बहते गन्दे पानी के बीच से होकर अपने गन्तव्य को पहुंचना पड़ता है। कई बार तो ऐसा भी देखने को मिला कि इस कालोनी से आने जाने गन्दगी और कीचड़ के शिकार भी हो गये है।
लगभग एक साल से अधिक समय से जिला प्रशासन के अधीन इस कालोनी की सड़क एवं नाली सब कुछ जर्जरावस्ता  को पहुंच गयी है लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी अधिकारी चाहे शीर्ष हो अथवा कोई भी हो उसके स्तर से इस सरकारी कालोनी की समस्या दूर करने का प्रयास नहीं किया गया है। हां प्रशासन के अधिकारी पूरे जिले के साफ सफाई सहित विकास के चाहे जितने दावे करे लेकिन प्रशासन की यह सरकारी कालोनी उनके कार्य शैली की पोल खोलती नजर आ रही है। यहां सवाल इस बात का है कि जो प्रशासनिक अधिकारी अपने सरकारी कालोनी की समस्या दूर करने में लापरवाही बरत सकते है वह जनपद के विकास और साफ सफाई के प्रति कितने गम्भीर होगे सहज अनुमान लगाया जा सकता है।  
यहाँ यह भी बता दे कि एक ऐसा भी समय था जब जिले के आला अधिकारी इस कालोनी के प्रति बेहद संवेदनशील रहते हुए सड़क नाली पानी और कालोनी के भवनों आदि के रख रखाव का विशेष ध्यान देते थे लेकिन आज इस इस वीआईपी कालोनी दुर्दशा को ठीक करने के लिए कोई भी जिम्मेदार अधिकारी गम्भीर नहीं है। जो प्रशासन को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है।     

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