लेखपाल, कानूनगो की करतूतः 15 सालों बाद भी सिद्ध नहीं हो सका कि पीड़ित जिन्दा है

 


राजस्व विभाग के कर्मचारी लेखपाल, कानूनगो गरीबों के साथ सरकारी अभिलेख में ऐसा खेल करते है कि गरीब की पूरी अचल संपत्ति ही बेंच देते हैं और गरीब का पूरा जीवन खुद को साबित करने में बीत जाता है और न्यायालय न्याय नहीं कर पाता है गरीब की जमीन का मालिक अमीर बना रहता है। नया मामला जनपद मिर्जापुर का सामने आया है। बीते शनिवार एक बुजुर्ग हाथ मे एक बैनर लिए कलेक्ट्रेट परिसर में बैठा था। जब उससे पूछा कि यहां क्यो बैठे है। तो भोला ने बिना देर किए बोला, साहब को बताने आए है हम जिंदा है।भोला ठंड में कांपते हुए सुबह- सुबह जिले के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार से मिलकर अपने जिंदा होने की फरियाद लेकर पहुचा था।

भोला का कहना था राजस्व निरीक्षक व लेखपाल ने खतौनी में उसे मृत दिखाकर उसके जमीन पर उसके भाई के नाम वरासत में दर्ज कर दिया। इसके बाद खुद को जिंदा बताने में  15 वर्षो से अधिक का समय लग गया। लेकिन अंत मे डीएम साहब के यहां आकर अपनी दास्तान प्रार्थना पत्र के माध्यम से उन्हें सौपा। साहब को बताने आया था कि हम जिंदा है। इस वक्त जिले के लालगंज में रामपुर खोमर गाँव मे रहते है। उन्होंने बताया कि अमोई गांव का मूल निवासी हूँ।नाम भोला सिंह उर्फ श्याम नारायण सिंह पुत्र बसंत सिंह है।
पत्रक के अनुसार खतौनी सन 1403-1408 फसली के खाता संख्या 166 में 6 गाटा कुल रकबा 1 बीघा 15 बिस्वा 12 धुर पर उसका व उसके भाई राज नारायण का नाम दर्ज है। इसी खतौनी में राजस्व निरीक्षक शहर का पत्र 11 क का आदेश अंकित है कि आकार पत्र 11 क के क्रमांक 6 पर राजस्व निरीक्षक का आदेश  24 दिसंबर 1999 के अनुसार मृतक भोला के स्थान पर राज नारायण पुत्र बसंत का नाम बतौर वारिस अंकित हो। लेकिन जब भोला को यह जानकारी प्राप्त हुई की उसके जीवित रहते राजस्व निरीक्षक शहर व लेखपाल अमोई द्वारा उसे मृतक दिखाकर पूरी जमीन उसके भाई के नाम कर दिया।
भोला ने पत्रक में बताया कि उसने तहसील में पत्रक दिया, मैं अभी जिंदा हूं। मेरा नाम फर्जी तरीके से काटकर मेरे भाई के नाम मेरी जमीन कर दी जा रही है। साथ ही न्यायालय सीजीएम में अपने को मृत दिखाने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करने की मांग किया। जिस पर कोर्ट द्वारा राजस्व निरीक्षक और लेखपाल पर कोतवाली शहर में एफआईआर दर्ज करने की आदेश पारित किया। एफआईआर में आरोपपत्र भी पुलिस द्वारा धारा 420, 467, 468, 471 में न्यायालय सीजेएम में भेज दिया गया।
पंद्रह वर्षों से अपने को जिंदा होने की बात शासन से कह रहा है परंतु खतौनी में आज तक उसे जिंदा नहीं किया गया। खतौनी में दर्ज होने का मुकदमा भी न्यायालय तहसीलदार न्यायिक सदर में भोला बनाम बसंत के नाम से विगत 15 वर्षों से चल रहा है। परंतु आज तक खतौनी में मुझे जीवित नहीं किया गया। भोला ने कहा है कि न्यायालय में प्रत्येक तारीखों पर जाकर हम तहसीलदार साहब से कहते है कि साहब मैं जिंदा हूं फिर भी खतौनी में अब तक जीवित नहीं दर्ज किया गया। एक दिन तो अपने तहसीलदार से यह भी कहा कि साहब यदि मैं मर भी गया होता तो मेरे स्थान पर मेरी पत्नी व बच्चों का नाम दर्ज होता। परंतु मेरे भाई का नाम क्यों दर्ज किया गया।
राजस्व निरीक्षक और लेखपाल के कलम की मार का चोट नही भर सका 15 वर्षो में घाव, भोला को इन पंद्रह वर्षो में सिर्फ और सिर्फ न्यायालय से तारीख पर तारीख दिया जाता रहा है। वह जवानी से वृद्धावस्था की दहलीज में पार कर गए है। लेकिन कमबख्त किस्मत उन्हें सुख की दो वक्त की रोटी के बजाए केवल दर दर आफिसो के ठोकर अधिकारियों से मिलती फटकार, लेकिन एक उम्मीद से साथ फिर से तहसील में अपने जीवित होने का प्रमाण लेकर 15 वर्षों से सिर्फ चक्कर लगा रहा है।लेकिन शासन के कर्मचारियों के कलम की घाव को भरने के लिए भोला दर दर की ठोकरें और अपमान फटकार सुनने को बेबस है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के डीएम को निर्देश दिया है कि पूरे प्रकरण की जांच करायी जाए। अगर भोला जीवित हैं तो उसके नाम को खतौनी में दर्ज किया जाए। इसके साथ ही कहा है कि जो भी इस मामले में दोषी अधिकारी या कर्मचारी हो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। उन्होंने एक सप्ताह के अंदर जांच कर कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने को कहा है।

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