जनपद जानना चाहता है ऐतिहासिक धरोहर शाही पुल की दीवार तोड़ने और मूर्ति रखने के पीछे का क्या है रहस्य



जौनपुर। जनपद मुख्यालय पर गोमती नदी पर बने शाही पुल के नीचे पुल की सुरक्षा में मुगलकाल के समय की बनी दीवार को तोड़कर मां दुर्गा की मूर्ति रखने का मामला इस समय जनपद में चर्चा का बिषय बना हुआ है। हलांकि खबर लगते ही पुरातत्व विभाग सक्रिय होते ही पुनः दीवार खड़ी करा दिया और सुरक्षा के लिए पुलिस का पहरा लगवा दिया है लेकिन ऐसी हरकत करके पुल को कमजोर करने का प्रयास और साहस किसके द्वारा किया गया यह जांच का बिषय है। 
मिला जानकारी के अनुसार शहर के अराजकतत्वों ने पुरातात्विक विभाग के अधीन शहर के दोनों भागो को आपस में जोड़ने वाले शाही पुल के मध्य के दो खंभों के बीच लखौरी ईंटों से बनी दीवार तोड़कर वहां रातोरात देवी मां की मूर्ति रख दी। मंगलवार को इसकी सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गई। आनन फानन में पुलिस व पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जांच पड़ताल की। स्थिति को देखते हुए रात में ही पुलिस ने टूटी हुई दीवार का फिर से निर्माण कराया। साथ ही मूर्ति को भी दीवार के अंदर ही बंद करा दिया। घटनास्थल पर पुलिस बल तैनात किया गया है। ताकि दीवार की सुरक्षा हो सके। 
 इस संदर्भ में पुरातत्व विभाग के कनिष्ठ कंस्ट्रक्शन सहायक जे राजू का कथन है कि जिस तरह से दोनों खंभों के बीच की दीवार को तोड़ा गया है,उससे पुल ही खतरे में पड़ सकता है। पुल पुरातत्व विभाग की सम्पत्ति है इसके साथ छेड़छाड़ करना कानून जुर्म है। इसकी खबर मिलते ही तत्काल पुलिस को सूचित किया गया कि शाही पुल के दो खंभों के बीच की लखौरी ईंटों से बनी दीवार को शरारती तत्वों ने तोड़ दिया और वहां देवी की खंडित प्रतिमा रख दी है। कोतवाली प्रभारी संजीव मिश्रा दल बल के साथ मौके पर पहुंच गए। पुरातत्व विभाग के कनिष्ठ कंस्ट्रक्शन सहायक जे राजू ने भी पड़ताल किया तो पता चला कि मूर्ति कुछ ही समय पहले ही रखी गई है।
इसके बाबत एएसपी सिटी डॉ. संजय कुमार का कथन है कि वैसे तो यह पुरातत्व विभाग का मामला है। फिर भी पुलिस के जरिए जांच कराई जा रही है, जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वाराणसी के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने बताया कि यह ऐतिहासिक विरासत है। इसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए, जिससे इसके अस्तित्व को खतरा हो, साथ ही उनका यह कहना है कि ऐतिहासिक धरोहर के साथ छेड़छाड़ करना जुर्म की श्रेणी में आता है 

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