पक्के इरादे वाले लौह पुरुष थे स्व.ठाकुर प्रसाद सिंह :डॉ रणजीत सिंह

जौनपुर। शाहगंज क्षेत्र स्थित श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर के प्रांगण में  शुक्रवार को ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का एक उत्कृष्ट मानक स्थापित करके शैक्षिक दृष्टि से ऊसर भूमि को  उर्वर बनाने वाले,ग्रामीण क्षेत्र के लिए मालवीय की भूमिका निभाने वाले, शिक्षा को ग्रामीण अंचल के धरातल पर उतारने वाले  भगीरथ,जनपद मुख्यालय से सुदूर पश्चिमांचल में स्थित  गांधी स्मारक विद्यालय संकुल की नींव रख कर क्षेत्र के विकास  की परिकल्पना के सूत्रधार और शिक्षा के जरिए क्षेत्र का भाग्य लिखने वाले संस्थापक स्वर्गीय ठाकुर प्रसाद सिंह  की 20वीं पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। स्वर्गीय सिंह की पुण्यतिथि प्रेरणा दिवस के रूप में  मनाई गई। मुख्य अतिथि राज्यपाल पुरस्कार से पुरस्कृत   श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. रणजीत सिंह ने स्वर्गीय संस्थापक  की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके श्रद्धांजलि समारोह का शुभारंभ किया। सर्वप्रथम संगीत शिक्षक प्रेमनाथ सिंह चंदेल के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छात्राओं ने संस्थापक की रुचि के अनुकूल अघोर वंदना ' हे योगिराज! अकाम तुमको कोटि-कोटि प्रणाम, करते बार-बार प्रणाम।'  की प्रस्तुति दी। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि स्वर्गीय संस्थापक नेक और पक्के इरादे वाले लौह पुरुष , अपराजित और अनुशासित व्यक्तित्व,अजेय,नकल विरोधी गरीबों मजलूमों,पीड़ितों और शोषितों के मसीहा थे।समस्त भेदभाव से ऊपर उठकर समाज हित के बारे में सोचते थे।वह ऐसी शख्सियत  थे  जो  सरकार  और  प्रशासन को भी ललकारने की क्षमता रखते थे।पूर्व प्रधानाचार्य ने संस्थापक को विनम्रता, सहनशीलता और संघर्षशीलता की प्रतिमूर्ति  बताया। वह हर संघर्षशील व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत हैं ।अपने वक्तव्य में डॉ.सिंह ने कहा कि  संस्थापक सिंह का व्यक्तित्व हिमालय के समान ऊंचा था। वह ऐसे महापुरुष थे जो केवल गुरु ,ईश्वर और अघोरेश्वर महाप्रभु के  समक्ष ही झुकते थे। 

समारोह की अध्यक्षता मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत तिवारी के पिताजी व विद्यालय संकुल प्रबंध समिति के  सम्मानित सदस्य पंडित राम सन्मुख तिवारी ने किया।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने  कहा कि छात्र एवं समाज हित के लिए जोखिम उठाना उनका स्वभाव था। उन्होंने कहा कि मैनेजर साहब साहस और जज्बे के प्रतीक थे।प्रबंधक हृदय प्रसाद  सिंह  रानू ने स्व. संस्थापक के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित  किया। उन्होंने कहा कि विद्यालय के संस्थापक के विचारों पर चलना और उन्हें अमल में लाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रबंधक ने अपने उद्बोधन में शिक्षकों से आह्वान किया कि बच्चों को समस्त भेदभाव से ऊपर उठकर उन्हें शिक्षित करें। आज के बच्चे ही कल के भविष्य हैं जो एक श्रेष्ठ नागरिक बनकर भारत को विश्वगुरु बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने  शिक्षकों से कर्तव्य के प्रति निष्ठा और ईमानदारी से उत्तरदायित्व के पालन की अपेक्षा की। 

स्वागत भाषण ,आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य डॉ. अजेय प्रताप सिंह ने किया। प्रधानाचार्य ने कहा कि वह  दूरदर्शी महामानव थे।

प्राचार्य प्रो.रणजीत पांडेय, गंगा प्रसाद सिंह ,सतीश सिंह ,जगदंबा प्रसाद पाल ,रामलाल गुप्ता  आदि लोगों ने भी  अपने  संस्मरण सुनाए और क्षेत्र का मसीहा बताया । संचालन अंग्रेजी प्रवक्ता विनय त्रिपाठी ने किया।इस अवसर पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय  एनएसएस  के पूर्व कार्यक्रम समन्वयक प्रो.राकेश कुमार यादव, प्रशांत तिवारी ,राजेश सिंह प्राचार्य डीपीएड ,पूर्व प्रधानाचार्य विनोद सिंह ,सुनील सिंह प्रधानाचार्य आईटीआई,बसुधा पति तिवारी प्रधानाध्यापक, रामकिशुन वर्मा,अच्छे लाल सिंह,ओमप्रकाश पाल, इंद्र बहादुर यादव  सहित विद्यालय संकुल के समस्त शिक्षक गण  एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।


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