यूपी में जाने क्या गुल खिलायेगी शिवापाल, ओमप्रकाश और ओवैसी की तिकड़ी


 

जौनपुर : उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा से लड़ने के लिए गैर भाजपा वाद को नई धार दी जा रही है. गैर भाजपावाद को समय की जरूरत करार देने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के नेता शिवपाल सिंह यादव ने ओमप्रकाश राजभर को आगे कर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ राजनीति की नई संभावनाएं तलाशी शुरू कर दी है.
विधानसभा चुनाव से 1 साल पहले उत्तर प्रदेश की राजनीति तेजी से करवट बदलती दिखाई दे रही है.  बिहार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाता भूल सीटों पर जीत का परचम फहराने वाले असदुद्दीन ओवैसी एकाएक गैर भाजपा राजनीति के केंद्र में आ गए हैं. यही वजह है कि वह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को अपने साथ समझौता करने का न्योता दे रहे हैं तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कदम रखते ही उनसे गले मिलने के लिए छोटे-छोटे दलों के राजनेता बेकरार दिखाई दे रहे हैं.
दरअसल जातीय राजनीतिक आधार पर खड़े छोटे दलों को बड़ी जीत के लिए हमेशा तालमेल की दरकार होती है. राजभर समाज के वोट बैंक के साथ भाजपा का दामन थाम कर ओमप्रकाश राजभर ने भी सत्ता की कुर्सी पर कब्जा जमाया था. उन्हें यह मालूम है कि अकेले राजभर समाज के वोट बैंक से उन्हें कुर्सी मिलने वाली नहीं है ऐसे में जरूरी है कि दूसरे राजनीतिक दलों का उन्हें साथ मिले. भाजपा से अलग होने के बाद वह समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के नेता शिवपाल सिंह यादव से अलग-अलग मुलाकात कर चुके हैं. लखनऊ में ओवैसी से मिलने पहुंचे राजभर ने मीडिया से कहा कि ओवैसी के साथ मिलकर गठबंधन की राजनीति करेंगे. उन्होंने यह भी साफ किया कि शिवपाल सिंह यादव ने गठबंधन की राजनीति का मंत्र दिया है और उसी पर वह ओवैसी के साथ आगे बढ़ेंगे.
ओवैसी के साथ हुई मुलाकात के अगले दिन ही राजभर ने शिवपाल सिंह यादव से दोबारा मुलाकात की है. समझा जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव ने छोटे-छोटे दलों के गठबंधन का जो राजनीतिक फार्मूला तैयार किया है उस पर काम करने के लिए राजभर के साथ ओवैसी भी राजी हो गए हैं. ओवैसी का संदेश लेकर राजभर ने शिवपाल से मुलाकात की है. दूसरी ओर पीस पार्टी से भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वह शिवपाल सिंह यादव के गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार है. शिवपाल सिंह यादव ने 1 दिन पहले बयान भी जारी किया है कि प्रदेश और देश की राजनीति में गैर भाजपा वाद वक्त की मांग है. ऐसे में बहुत मुमकिन है कि शिवपाल ,राजभर और ओवैसी की तिकड़ी मिलकर उत्तर प्रदेश में कोई नया गुल खिला दे.
दरअसल ओवैसी को जहां कट्टर मुसलमानों का समर्थन हासिल है वही शिवपाल सिंह यादव मुस्लिमों के साथ ही यादवों के भी नेता हैं. अन्य जातियों में भी उनका समर्थक वर्ग मौजूद है. ओमप्रकाश राजभर पूर्वी उत्तर प्रदेश की लगभग दो दर्जन सीटों पर मजबूत दखल रखते हैं. अगर यह तीनों राजनीतिक दल एक साथ आते हैं तो पूर्वांचल के कम से कम तीन से चार दर्जन सीटों पर नया समीकरण बनाने में कामयाब हो सकते हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश की सीटों पर भी शिवपाल और ओवैसी का गठबंधन मजबूत परिणाम दे सकता है.
ओवैसी को भी यह मालूम है कि कट्टर मुसलमान तो उनके साथ आ सकता है लेकिन दूसरे मतदाता वर्ग तक उनकी पहुंच नहीं है यह तभी संभव है जब उन्हें उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों का साथ मिले. हलांकि ओवैसी के बारे मे एक चर्चा यह भी है कि वह भाजपा के एजेंट के रूप में अमित शाह के इशारे पर पूरे देश में काम करते हुए भाजपा को ही ताकत प्रदान कर रहे हैं।  राजनीतिक दलों के गठबंधन के इस युग में अगर तीनों राजनीतिक दल एक साथ आते हैं तो मुमकिन है कि यह तिकड़ी गैर भाजपावाद की राजनीति का चेहरा ही बदल दे.

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