जानिए क्या महत्व है दियावां महादेव मंदिर का महत्व, कैसे और किसने किया इसकी स्थापना


जौनपुर। जनपद की मड़ियाहूं तहसील स्थित जिले के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में सुमार दियावां  महादेव मंदिर एक अलग ही अहमियत और पहचान रखता है। मड़ियाहूं से मछलीशहर जाने वाले मार्ग पर बसुही नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा माना जाता है। बताया जाता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना भगवान राम के भाई युवराज शत्रुघ्न ने किया था। उस समय इस मंदिर का नाम दीनानाथ था, बाद में दियावांनाथ हो गया। क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि अन्य जनपदों के लोगों के बीच आस्था के केंद्र बने इस मंदिर में हर सोमवार को शिव भक्तों का मेला लगता है। सावन माह में कावरियों के साथ-साथ हजारों की संख्या में शिव भक्त जलाभिषेक करते हैं।
दियावां गांव बुजुर्गों की माने तो त्रेता युग में भगवान श्रीराम के अनुज शत्रुघ्न अयोध्या से बाणासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त करने के लिए जाते समय इस परिसर में आये थे। मंदिर के पुजारी चंद्रमा प्रसाद कहते हैं कि यह क्षेत्र भयंकर जंगल से आच्छादित था। बाणासुर नामक राक्षस इसी जंगल में निवास करता था। बाणासुर से कई महीने युद्ध करने के बाद भी युवराज उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सके थे। वह इतना शक्तिशाली था कि शत्रुघ्न को उसकी समस्त सेना के साथ मूर्छित कर दिया। जब यह सूचना दूतों ने अयोध्या के राजा भगवान श्रीराम को दी तब वे अपने गुरु वशिष्ठ के साथ यहां पहुंचे। भगवान राम के प्रताप से शत्रुघ्न समस्त सेना के साथ चेतावस्था में हो गए। इसके बाद राम ने बाणासुर पर विजय प्राप्त करने का उपाय अपने गुरु से पूछा। गुरु वशिष्ठ ने बताया कि शत्रु पर विजय प्राप्त करने की लिए सर्वप्रथम शिवलिंग स्थापित करना होगा। इस पर भगवान राम की उपस्थिति में उनके छोटे भाई शत्रुघ्न ने यहां (दियावां) में शिवलिंग की स्थापना की। 
वैसे तो यहां पूरे वर्ष हर सोमवार को मेला लगता है, लेकिन सावन माह में भक्तों का तांता लगा रहता है। हजारों की संख्या में नर-नारी व कांवड़िये यहां जलाभिषेक करते हैं। मिन्नतें मांगने और मत्था टेकने दूर-दराज से लोग आते हैं।

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