भतीजीयों को जिन्दा जला कर मारने वाले चाचा को आजीवन कारावास की सजा, हत्यारा फांसी से कैसे बच गया,जानें कहां हुई चूक


इलाहाबाद जिला न्यायालय ने दो मासूम बच्चियों को जिंदा फूंक देने वाले चाचा को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उस पर 15 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। इसे न चुकाने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। दिल दहला देने वाली यह वारदात होलागढ़ के सराय मदन उर्फ चांटी अहिरान में हुई थी, जिसमें उसने भतीजे को भी आग में झोंक दिया था, लेकिन उसे बचा लिया गया। इसी भतीजे की गवाही से यह सजा संभव हो सकी।
अपर सत्र न्यायाधीश डॉ लक्ष्मीकांत राठौर की कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। होलागढ़ थाना क्षेत्र में रूह कंपाने वाली यह वारदात सात अप्रैल 2018 को पृथ्वीपाल यादव के घर हुई। बरामदे में सो रही मासूम ऋतु (6), नीतू उर्फ महक (3) और रितेश (8) को इनके ताऊ अमरनाथ यादव ने मिट्टी का तेल डाल कर जला दिया था। इसमें ऋतु और नीतू की एसआरएन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी, जबकि रितेश को बचा लिया गया था।
ताऊ ने भोर में इस घटना को उस वक्त अंजाम दिया, जब मासूमों के माता पिता फसल काटने गए हुए थे। शौच के लिए जा रहे गांव के ही श्याम लाल ने अमरनाथ को मासूम बच्चों पर मिट्टी का तेल छिड़कते हुए देखा। इसके पहले कि श्याम लाल शोर मचाते हुए कोई मदद कर पाता, अमरनाथ बच्चों को आग के हवाले कर चुका था। चीख पुकार सुन कर लोग जुटे तो ताऊ खुद कुएं में कूद गया।
हृदय विदारक घटना की खबर पर घर पहुंचे पृथ्वीपाल यादव ने बड़े भाई अमरनाथ ले खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। पांच साल चले विचारण के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह विशेन ने अभियोजन की ओर से सात गवाहों को पेश किया। इसमें मासूम रितेश भी था।
जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने बताया कि रितेश ने रोते हुए गवाही दर्ज कराई थी। उसकी हालत देख कर कोर्ट में मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई थीं। अदालत ने दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर ताऊ को दो मासूम बच्चियों की हत्या और भतीजे रितेश को गंभीर रूप से जलाने का दोषी करार देते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 15 हजार का अर्थदंड भी लगाया।
घर में सो रहे मासूम भतीजे-भतीजियों पर तेल छिड़क कर जिंदा जला डालने वाले ताऊ ने आखिर ऐसा क्यों किया, अभियोजन पक्ष यह सिद्ध नहीं कर सका। यह सिद्ध हो सकता तो अदालत उसे फांसी की सजा भी सुना सकती थी। मगर, इतनी निर्मम हत्या के पीछे के कारणों को घटना से जोड़ा नहीं जा सका। नतीजा यह हुआ कि यह आपराधिक कृत्य अपवाद (विरलों में से विरलतम) नहीं माना गया और अदालत ने उम्र कैद की सजा सुना दी।

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