कानपुर काण्ड के बाद सरकार एवं पुलिस प्रदेश के टाप टेन अपराधियों पर कसने लगी है शिकंजा,अपराधियों में हड़कंप
यहां तक की एनसीआर के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में तो पुलिस भी एक्शन में आ गई है। भदोही से 50 हजार का इनामी बदमाश ढ़ेर कर दिया गया। वहीं सुंदर भाटी समेत अनेक अपराधियों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
आठ पुलिस वालों की हत्या के आरोपी विकास के एनकाउंटर के बाद पुलिस अब दूसरे माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गोरखपुर पुलिस ने माफिया विनोद उपाध्याय को गिरफ्तार किया है। धमकाने के मामले में माफिया विनोद की गिरफ्तारी की गई है।गोरखनाथ थाना क्षेत्र का हिस्ट्रीशीटर विनोद के खिलाफ धारा 384, 506 के तहत कार्रवाई की गई है। बताया जा रहा है कि शातिर विनोद उपाध्याय पर दर्ज 25 अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं।
पुलिस के अनुसार विनोद उपध्याय खिलाफ हत्या, रंगदारी, समेत तमाम संगीन मामलों में लखनऊ, गोरखपुर, संतकबीरनगर जिले में दर्ज हैं। धमकी देने के मामले में कोतवाली थाना क्षेत्र के हुमांयुपुर दक्षिणी से आरोपी की गिरफ्तारी की गई है।
क्राइम ब्रांच और कोतवाली पुलिस की संयुक्त टीम ने ये गिरफ्तारी की है। इस मामले का खुलासा करते हुए सीओ कोतवाली वीपी सिंह ने बताया है कि माफिया विनोद उपाध्याय पर आरोप है कि उसने शहर कोतवाली इलाके में इसी जून के आखिरी सप्ताह में एक कंपनी के मैनेजर से जबरन वसूली की थी।
जिस पर पीड़ित मैनेजर की शिकायत पर पुलिस ने केस भी दर्ज किया था । बताया जाता है कि विनोद उपाध्याय के किसी परिचित ने शव का दाह संस्कार की मशीन 37 लाख में खरीदी थी, लेकिन बदले में सिर्फ आठ हजार रुपये ही दिया था। बाकी का पैसा मैनेजर को नहीं लौटाया जा रहा था। इसी मामले में दर्ज मुकदमें की ट्रायल में कोर्ट में विनोद के हाजिर नहीं होने पर कोर्ट ने उसके खिलाफ एनबीडब्लू जारी कर दिया था।
कानपुर कांड में आठ पुलिसकर्मियों की शहादत और उसके मुख्य आरोपी विकास दुबे के के बाद यूपी पुलिस का अभियान जारी है। लखनऊ, गोरखपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में पुलिस ने छापे मारी किया विगत देर रात गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर विनोद उपाध्याय को गिरफ्तार किया । उसकी कहानी भी कानपुर के विकास दुबे से मिलती-जुलती है। 24 से ज्यादा संगीन मुकदमे होने के बावजूद विनोद की चाहत विधायक बनने की रही है।
उसने गोरखपुर सदर से चुनाव भी लड़ा था। विनोद के समर्थक बड़ी संख्या में नई उम्र के लड़के हैं। वह विधायक तो नहीं बन सका लेकिन अपराध के साथ राजनीति में इतनी पैठ जरूर जमा ली थी कि पुलिस उसके इशारों पर नाचने लगी। अपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसने वर्ष 2001 में शाहपुर थाने से रिपोर्ट लगवाकर अपना लाइसेंसी असलहा भी हासिल कर लिया था।
ज्ञानपुर पुलिस ने टाेल प्लाजा लालानगर संचालक को धमकी और रंगदारी मांगने के आरोप में निषाद पार्टी के ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र के खिलाफ गुंडाएक्ट की कार्रवाई की संस्तुति की है। उनके खिलाफ औराई कोतवाली में गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। प्रयागराज, मीरजापुर और भदोही में उनके खिलाफ 71 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस लाइन सभागार में पत्रकारों से बातचीत में एसपी ने बताया कि ज्ञानपुर विधाययक अपने लोगों को टोल प्लाजा लालानगर का टेंडर दिलवाना चाहते थे। जिनके नाम से वह टोल प्लाजा लेना चाहते थे उन्हें नहीं मिला।
इसी को लेकर टोल प्लाजा संचालक गोपाल कृष्ण माहेश्वरी को धमकी देते हुए रंगदारी न देने पर जान से मारने की धमकी दी गई है। इसका आडियो क्लिप पुलिस को मिली। जिसकी जांच प्रभारी निरीक्षक औराई से कराई गई। मामला सही मिलने पर उनके खिलाफ गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। एसपी ने विधायक को दुर्दांत अपराधी बताया ।
विधायक विजय मिश्र का कहना है कि अपराधियों से मिलकर पुलिस हत्या करवाना चाहती है। इसके पहले वह और उनकी पत्नी एमएलसी रामलली ने कई बार शिकायत की लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं की। आरोप है कि ब्राह्मणों को खोज-खोज कर हत्या कराया जा रहा है। उनके द्वारा किसी को भी धमकी नहीं दी गई। बसपा सरकार में वाराणसी जोन के एडीजी प्रयागराज के एसपी थे। उन्होंने नंदी मामले में फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया था। हत्या की साजिश करने वाले अपराधियों की जांच वाराणसी जोन से बाहर कराने की मांग की थी। पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत कर रहे थे इसलिए जुबान बंद करने के लिए यह कार्रवाई की गई है।
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