पति की सलामती के लिए जाने कितना महत्व रखता है तीज व्रत-उपवास
कपिल देव मौर्य
इस वर्ष हरतालिका तीज 21 अगस्त को है। हिंदू धर्म में पति को परमेश्वर मानने की परंपरा सदियों पुरानी है और पति की सलामती के लिए युगों-युग से पत्नियां प्रार्थनाएं करती आ रही हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में देवियों के महात्मय का भी वर्णन है। जिन्होंने अपने पतियों के लिए हजारों साल तप किया तो उन्हें पति रुप में पाया है। मां पार्वती, माता सती, माता सीता सबने पति की सलामती के लिए कठोर तपस्या कर सतीत्व का वरदान पाया है। ये तो हुई सतयुग की बातें, आज भी महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत पूजा पाठ करती हैं।
कभी चौथ, तो कभी करवा चौथ और कभी तीज का निर्जला व्रत करती है। ऐसा ही एक कठिन और निर्जला व्रत है हरितालिका तीज। जो भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है। ये व्रत ज्यादातर सुहागिनें करती है। उत्तर भारत में ये व्रत कुंवारी लड़कियां भी करती हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को पार्वती जी ने शादी से पहले किया था। इस साल भी हरितालिका तीज 21 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस व्रत को लेकर महिलाओं में बहुत उत्साह रहता है।
इस बार का मुहूर्त और पारण
यह भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, जो गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले होता है। इस बार पूजा करने की तिथि 12 सितंबर को है। सूर्योदय के बाद से शाम के 6:46 मिनट तक पूजा की जा सकेगी।
मान्यता
तीज के पीछे की कथा है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए जंगल में जाकर कर हजारों साल तक कठोर तपस्या की थी। तब जाकर उन्हें भोले बाबा मिले थे। इस दिन सुहागिनों को गणेश,पार्वती और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत को तपस्या और निष्ठा के साथ स्त्रियां रखती है। यह व्रत बड़ा कठिन है क्योंकि ये व्रत बिना पानी के रखा जाता है। इस व्रत का खास तौर पर उत्तर भारत में विशेष महत्व है। कहते हैं इस व्रत को करने से महिलाओं को उनके पति का साथ 7 जन्मों तक मिलता है।
वैसे तो व्रत के नियम और परंपरा तो व्रती को अच्छी तरह से पता होता है कि इ दिन सोना नहीं चाहिए, व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही करनी चाहिए और नियमों का पालन शुद्ध मन से करना चाहिए।
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