वो रंग जिसने हमारे जीवन को बनाया सायराना- विजय विनीत




दुनियां में सिर्फ कुदरत ही हैरान नहीं करती। सच्चे दोस्त और शुभचिंतक भी जीवन में कभी-कभी मुहब्बत का इंद्रधनुषी रंग विखेर देते हैं। ऐसे रंग जो इंसान के अंदाज को शायराना बना देते हैं। ये रंग कभी सूरज का अंदाज बयां करते हैं, तो कभी चांद-सितारों का।


धूर्त और षड्यंत्रकारी महामारी कोरोना से जंग जीतने के बाद हमारी जिंदगी में कुछ गम आए, तो कुछ खुशियां भी। गम भी अपनों ने दिए, तो खुशियां भी अपनों से मिली। पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन ने हमें पत्रकारिता अवार्ड दिया। फिर रिपोर्टर्स बिदाउट बार्डर ने हमें दुनिया के तीस सूचना नायकों की सूची में शामिल किया। इस बीच कुछ शुभेक्षुओं ने हमें जो सम्मान दिया, वो हमारे लिए कुछ ज्यादा ही चौंकाने वाला रहा। यह सम्मान हमारे लिए कुछ ज्यादा ही अहम रहा।

नवजीवन मिलने पर अशोका इंस्टिट्यूट के निदेशक अमित मौर्य ने हमें चाय पर आमंत्रित किया। वो भी उस समय जब ढेरों लोग मुझसे मिलने से कतरा रहे थे। अमित जी ने हमें ‘कोरोना योद्धा’ की तरह सम्मानित किया। सम्राट अशोक मौर्य की लाट का प्रतीक चिह्न देकर हमारे हौसले को बढ़ाया। उस वक्त हमें ऐसा लगा मानो जीवन में इंद्रधनुषी रंग उतर आया हो या किसी चित्रकार ने अपनी कूची से सुंदर रंगों को भर दिया हो। वो एहसास शायद हम जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे।


कोविड से जंग लड़ने के बाद हमने इंसाफ की एक और लड़ाई लड़ी। वो लड़ाई थी व्यापारी नेता राकेश जैन को न्याय दिलाने की। प्रशासनिक उत्पीड़न और ज्यादती के खिलाफ। हम कामयाब हुए। कुछ रोज पहले भाई हाजी बदरुद्दीन अहमद जी का फोन आया-‘हम मिलने चाहते हैं।’ इनके मिलने का अंदाज कितना शायराना होगा, इसका एहसास हमें तब हुआ जब ‘काशीरत्न’ का अवार्ड लेकर अपने साथी व्यापारियों के साथ हमारे घर आए।

भाई बदरुद्दीनजी के साथ प्रतिनिधि उद्योग व्यापार मंडल से जुड़े व्यापारी नेता एस.मुनाजिर हुसैन मंजू, मनीषा जैन, शैलेंद्र सिंह, शहनवाज शानू, किशन जायसवाल आदि ने हमें जो स्नेह और अपनत्व दिया, वो हमारे लिए किसी अमूल्य धरोहर के कम नहीं है। अचानक मिले ‘काशीरत्न सम्मान’ से मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मेरे लिए यह सम्मान इसलिए ज्यादा अहमियत रखता है, क्योंकि इसे मेरे शहर दिया है…और अपनों ने दिया है।

मैं भाई बदरुद्दीन जी और अमितजी का विशेष रूप से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिन्होंने मेरे सुख-दुःख को दिल से साझा किया। हमें अपार खुशियां दी और प्यार दिया…। मैं उन सभी शुभेक्षुओं का भी आभारी हूं जिन्होंने हमारी उपलब्धियों अपना समझा।

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