लोक कलायें भारतीय संस्कृति और जन मानस से जुड़ी है - डॉ विकास मिश्रा


लोक कलाओं से मनोरंजन के साथ करें  विज्ञान संचार 


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा इंडियन साइंस कम्युनिकेशन सोसाइटी के विज्ञान संचारक डॉ विकास मिश्र का ऑनलाइन  विशेष व्याख्यान का आयोजित  किया गया। उन्होंने वर्तमान समय में वैश्विक महामारी से बचाव के लिए समाज में  लोक कला माध्यमों के जरिये  वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने  पर विस्तार पूर्वक चर्चा की।
उन्होंने कहा कि सामाजिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में भारतीय लोक कलाओं का अभिन्न योगदान रहा  है। वर्तमान समय में लुप्त होती लोककला के संरक्षण, मनोरंजन एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के लिए विज्ञान संचारकों  को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि लोक कलाएं भारतीय संस्कृति और जनमानस की जड़ों से जुड़ी हुई है इनके इस्तेमाल से मनोरंजन के साथ-साथ बड़े सरल ढंग से वैज्ञानिक संदेश प्रेषित किया जा सकता है । आज के समय में कोविड -19 के प्रति जागरूकता में इसका प्रभाव दिख रहा है.
उन्होंने कहा कि आज  लुप्त होती लोक कलाओं से युवाओं को जोड़ना होगा. उन्होंने कठपुतली कला पर अपनी बात रखते हुए कहा कि  कम लागत में कठपुतली के माध्यम से आज देश के विभिन्न  भागो में विज्ञान संचार का कार्य किया जा रहा है. शिक्षा मनोरंजन एवं सामाजिक जागरूकता में कठपुतलियों का विशेष महत्व है. विज्ञान लेखकों की जिम्मेदारी है कि वैज्ञानिक तथ्यों को इन माध्यमों से आसानी से समाज में पहुंचाएं।
जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा  कि भारतीय लोक कलाएं  आज भी संचार के सशक्त माध्यम के रूप में  अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही  है।
विभाग के शिक्षक डॉ सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन एवं संचालन  डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ  चंदन सिंह समेत विभाग के विद्यार्थी एवं शोधार्थी मौजूद रहे।

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