इस वर्ष वसंत पंचमी क्यों होगी खास, गोशालायें कैसे होगी आत्मनिर्भर



आने वाली बसंत पंचमी में इस बार सरस्वती की प्रतिमा पंचगव्य के उत्पादों से बनाई जाएंगी। उप्र गोसेवा आयोग एवं खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के तत्वाधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पंचगव्य उत्पादों के विपणन, गुणवत्ता वृद्धि, पैकेजिंग, मानकीकरण को बढ़ाकर गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने विषयक रहा।
इस कार्यशाला में प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके आस-पास की गोशालाओं के प्रबंधकों एवं गो-उत्पाद से जुड़े अन्य पशुपालकों कृषकों को आमंत्रित किया गया, जिससे वे अपने उत्पाद को अधिक बेहतर बना सकें तथा खादी ग्रामोद्योग बाॅर्ड से जुड़कर अपने उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग भी कर सकें। कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुये उप्र गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम नन्दन सिंह ने आगामी बसंत पंचमी पर गोमय से बनी मां सरस्वती एवं गणेश जी की मूर्तियों को बनाने का आवाह्न किया।
कार्यशाला में उपस्थित जिला ग्रामोद्योग अधिकारी लक्ष्मीकान्त नाग ने खादी ग्रामोद्योग द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि ‘‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’’ पूर्णतः ऑनलाइन कर दिया गया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत लाभार्थी संस्था को 25 लाख तक का ऋण स्वीकृत किये जाने की व्यवस्था है।
लाभार्थी संस्थाद्वारा कुल लागत का 10 प्रतिशत अंश वहन किया जाता है तथा 90 प्रतिशत ऋण की व्यवस्था सरकार करती है। इस योजना में भारत सरकार से 25 प्रतिशत सब्सिडी भी दी जाती है। इस सब्सिडी में लाभार्थी का 10 प्रतिशत अंश भी सम्मिलित है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों मेे लगने वाले उद्योगों पर तीन वर्ष तक अधिकतम 13 प्रतिशत के व्याज की प्रतिपूर्ति किये जाने का प्राविधान है। इसके अतिरिक्त श्री लक्ष्मीकांत नाग ने विभाग द्वारा संचालित अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध करायी।
उप्र राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से आये नवीन शर्मा ने बताया कि प्रदेश में ग्रामीण आजीविका मिशन में लगभग चार लाख समूह स्थापित हैं, जिनके द्वारा लगभग 40 लाख महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन महिला समूहों में ग्रामीण क्षेत्र में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) की 10-15 महिलाओं तक का एक समूह बनाया जाता है। इस समूह का बैंक में खाता खोले जाने का भी प्राविधान है।
इस समूह को क्षेत्र के लीड बेंक के माध्यम से मिठाई के डिब्बे, गोबर के उत्पाद आदि बनाने की ट्रेनिंग भी दिलायी जाती है एवं बैंकों के माध्यम से लाॅन दिया जाता है। समिति का कार्यकाल तीन माह पूर्ण होने के बाद समिति की आवश्यकतानुसार रूपये 15 हजार अनुदान दिये जाने का तथा छः माह पूर्ण हो जाने परएक लाख दस हजार रूपये का अनुदान दिये जाने का प्रावधान है।

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