हापुण कांडः आखिर जांच टीम ने हाईकोर्ट में आधी अधूरी रिपोर्ट क्यों दिया,कोर्ट हुई नाराज, सुनवाई टली

हापुड़ में बीते माह 28 अगस्त को वकीलों पर हुए लाठीचार्ज का पुलिस इलाहाबाद हाईकोर्ट को वाजिब कारण नहीं बता सकी। विशेष जांच दल (एसआईटी) की आधी-अधूरी रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश हुए सरकारी वकील को सवालों के जवाब के लिए कोर्ट रूम से ही हापुड़ के पुलिस अधिकारियों को फोन लगाना पड़ा। संतोषजनक जवाब फिर भी नहीं मिल सका। नाराज कोर्ट ने पूरी और सटीक रिपोर्ट पेश करने का आदेश देते अगली सुनवाई 12 अक्तूबर को नियत कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी की खंडपीठ ने हापुड़ में हुए लाठीचार्ज के बाद वकीलों की शुरू हुई हड़ताल का स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की है। कोर्ट ने सरकार द्वारा गठित एसआईटी में न्यायिक सदस्य के रूप में पूर्व जज हरिनाथ पांडे को शामिल करने की सहमति देते हुए जांच रिपोर्ट सोमवार को तलब की थी।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में आधी-अधूरी जानकारी दी गई। इससे नाराज कोर्ट ने कई तल्ख सवाल उठाए। पूछा, क्या आंदोलन के दौरान वकील हथियारों से लैस थे...ऐसी क्या वजह थी कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। कोर्ट ने घटना के दिन से नौ तक वकीलों की एफआईआर दर्ज न किए जाने का कारण भी पूछा, लेकिन सरकारी वकील सटीक जवाब नहीं दे सके। कोर्ट की इजाजत पर शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने हापुड़ पुलिस के आला-अधिकारियों को फोन करके कोर्ट के सवालों के जवाब लिए।
इस दौरान शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि एसआईटी और पुलिस की जांच को अधिवक्ताओं का सहयोग नहीं मिल रहा है। सिर्फ शिकायतकर्ता सुजीत कुमार राणा ने ही बयान दर्ज कराए हैं। बाकी कोई नहीं आया। करीब एक घंटे चली बहस के दाैरान कोर्ट ने रोजनामचे (जीडी) और केस डायरी में दर्ज इंट्री पर गंभीर सवाल उठाते हुए सटीक और पूरी जानकारी 12 अक्तूबर तक पेश करने का आदेश दिया।
शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वकीलों ने कुल 22 तहरीर दी थीं, जिन्हें एक में समाहित करते हुए इन्हें 6 सितंबर को दर्ज कर लिया गया है। सभी मामलों की विवेचना एक साथ कराई जा रही है। निष्पक्ष विवेचना के लिए मामला मेरठ पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया है। संबंधित पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ निलंबन और स्थानांतरण की कार्यवाही भी की गई है।हालांकि, वकीलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वीपी श्रीवास्तव और अनिल तिवारी ने कहा कि जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों का मात्र स्थानांतरण किया गया है, जबकि मामले में विभागीय कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। अनिल तिवारी ने लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार इंस्पेक्टर का तबादला और दूर करने का मांग की, ताकि हापुड़ न्यायालय से उनका कोई सरोकार न रहे।

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