भूमि विवाद में जमकर चले लाठी डंडे, पांच महिलाओं सहित 12 घायल
दोनों पक्षों से कुल 23 आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज
जौनपुर, खुटहन। मंगलवार को रसूलपुर गांव में गत भूमि विवाद को लेकर दो पक्ष आपस में भिड़ गए। एक दूसरे पर लाठी-डंडा और कुल्हाड़ी से किए गए प्रहार में पांच महिलाओं सहित दर्जन भर लोग घायल हो गए। जिसमें तीन को गंभीर चोटें आई। सभी घायलों का उपचार सीएससी पर किया गया। गंभीर रूप से घायलों को जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। दोनों पक्षों के आरोपों के आधार पर पुलिस ने 23 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
एक पक्ष से विजय बहादुर यादव का आरोप है कि विपक्षी उमेश यादव, हरीनाथ, विवेक यादव, राकेश, बाबूराम, प्रेम चंद, आदर्श, आशीष, रिषभ, रितिक, इंद्रकला देवी, अंतिमा, शीला, प्रीति और बीना देवी पैमाईश के बाद भी चकमार्ग फावड़े से खोदकर चक में मिला रहे थे। विरोध करने पर उक्त लोगों ने लाठी डंडा और कुल्हाड़ी से वार कर दिया। जिसमें विजय यादव, फूलचंद, साहेबलाल, शेर बहादुर और दिव्यांश घायल हो गए। वहीं दूसरे पक्ष के उमेश यादव का आरोप था कि पड़ोसी विजय बहादुर, फूलचंद, साहबलाल, शेर बहादुर, तेज बहादुर, सचिन और चंदन यादव उसके सहन दरवाजे पर मिट्टी पाट कर अवैध रास्ता बना रहे थे। विरोध करने पर उक्त लोगों ने लाठी डंडा से प्रहार कर उमेश यादव, हरीनाथ, बदामा देवी, अंतिमा, मोनी और अंशू देवी को घायल कर दिया।
[23/10, 19:24] 🌀आकाशसोनी(पत्रकार)🌀: खुटहन, जौनपुर। श्री नारायण रामलीला समिति डिहिया के अभिनेताओं के द्वारा बुधवार को मंचन किए गए भरत के द्वारा श्रीराम के मनावन में भरत का त्याग और निश्छल प्रेम देख दर्शको की आंखें छलक पड़ी। जब वे गुरु और माताओं के साथ सिर पर राम के द्वारा दी गई खड़ाऊ को सिर माथे पर रख अश्रुपूरित नेत्रों से वापस अयोध्या लौटने लगे,इस दृश्य को देख दर्शक अपने आशुओं को नहीं रोक सके। वन से श्रीराम को वापस अयोध्या लाने के लिए भरत हर संभव तरीके से भगवान को मनाते हैं। लेकिन भगवान पिता के बचनो के आगे खुद को असमर्थ बताते हैं। इसका निर्णय महाराज जनक से करने का दोनों भाई आग्रह करते हैं। असमंजस में पड़े जनक ने कहा कि आप दोनों में महान कौन है यह ब्रह्मा भी तय नहीं कर सकते। राम कर्तव्य और मर्यादा की सीमा हैं तो भरत त्याग और निश्छल प्रेम की परिसीमा। जब प्रेम पराकाष्ठा में अनन्य भक्ति का रूप धर लेता है तो सारे बंधन तोड़ स्वयं ईश्वर को भक्त के पास भागकर आना पड़ता है। वहीं राम मर्यादा और धर्म के शिखर हैं। तीनों लोकों में धर्म से बड़ा कुछ नहीं होता। इस प्रेम, त्याग, मर्यादा और धर्म के द्वंद में देखें तो भक्त भरत का पलड़ा भारी दिख रहा हैं। लेकिन प्रेम सदैव निस्वार्थ होता है। इस लिए भरत तुम श्रीराम के चरणों में बैठ उन्हीं से निर्णय पूछिए।व्याकुल भरत भागकर श्रीराम के चरणों में गिर याचना करने लगते हैं। श्रीराम ने कहा भाई भरत मैं तुम्हारे द्वारा दिए गए राज्य को स्वीकार करता हूं। लेकिन पिता के बचन भी झूठे न हो इस लिए इस राज्य को 14 वर्षों के लिए तुम्हें धरोहर के रूप में सौंप रहा हूं। इस अवधि के बाद मैं वापस आकर तुमसे अपना राज्य वापस ले लूंगा। राज्य सिंहासन के लिए चरण पादुका लेकर जब भरत अश्रु धारा बहाते वापस लौटने लगे तो दर्शकों की आंखें भर आईं। रामलीला शुभारंभ विधायक रमेश सिंह ने फीता काटकर किया। उन्होंने कहा कि रामलीला हमारे सनातन धर्म और संस्कृति का मूल है। इस मौकेपर रंजीत सिंह गुड्डू, राकेश मिश्रा, अमित सिंह, रामजी मिश्रा , हृदय नारायण सिंह, रजनीश पाण्डेय,अंतिम मिश्रा,छोटेलाल सिंह, विनय सिंह, महेंद्र सिंह, बेचन सिंह, बब्बू सिंह, गोलू सिंह, अजीत सिंह, टंकू पाण्डेय,मस्ताने सिंह, बूटानी सिंह, आदि मौजूद रहे। संचालन राजेश मिश्रा ने किया।
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