बसपा ने प्रवासी को मल्हनी विधानसभा का बनाया प्रभारी,बसपाई दिग्गज है नाराज,क्या पार्टी को जीत का स्वाद चखा सकेंगे ?



 जौनपुर । उप चुनाव से दूर रहने वाली बहुजन समाज पार्टी जनपद जौनपुर के मल्हनी विधानसभा के लिये होने वाले उप चुनाव में जंग करने का निर्णय लेते हुए ऐसे व्यक्ति को जिम्मेदारी दी है जो इस विधानसभा के लिये हर नजरिए से प्रवासी है। जिसकी जिले में न कोई राजनैतिक हैसियत है, न ही कोई राजनैतिक पहचान है खुद इस विधानसभा के दिग्गज बसपाई भी अपने नेता के फैसले से नाराज हैं।  अब यहाँ सवाल उठता है कि क्या ऐसा व्यक्ति बसपा को जीत का स्वाद चखा सकेगा यह एक गम्भीर सवाल है ? 
यहाँ बतादे कि जनपद जौनपुर की मल्हनी विधानसभा अब तक सपा के कब्जे में रही है यहाँ से सपा के दिग्गज नेता स्व. पारस नाथ यादव  विधायक होते रहे है। उनके निधनोपरान्त अब इस विधानसभा क्षेत्र के लिए उप चुनाव होना है। हलांकि निर्वाचन आयोग से अभी तक चुनाव की हरी झंडी नहीं मिली है। यहां एक बात स्पष्ट कर दे कि किसी भी विधान सभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए बसपा पहले प्रभारी बनाती है बाद में उसे बतौर प्रत्याशी चुनाव में उतारने का फार्मूला बना रखी है। 
अपने इसी फार्मूले के तहत जौनपुर के मल्हनी विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी मनोज सिंह सोमवंशी मूल निवासी बुढ़नेपुर बदलापुर लेकिन रहते हैं मध्य प्रदेश के भोपाल में,ये बसपा के टिकट पर मध्य प्रदेश में लोक सभा का चुनाव लड़ चुके हैं परिणाम रहा कि पराजय मिली, अब उसकी भरपाई करने के लिए जौनपुर के मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में आये हैं। सूत्र बता रहे है कि मनोज सिंह सोमवंशी को मल्हनी विधानसभा का प्रभारी घोषित करने के पश्चात इस विधानसभा से बसपा के कद्दावर नेता गण नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दिया कि ऐसे लोग जैसे हवाई मार्ग से आये हैं वैसे ही उसी मार्ग से वापस कर दिया जायेगा। 
यहाँ बतादे कि मनोज सिंह सोमवंशी के प्रभाव में इस विधानसभा क्षेत्र का एक प्रतिशत क्षत्रिय बसपा के साथ नहीं हो सकता है। इनकी कोई राजनैतिक पकड़ नहीं है। बसपा के मूल मतदाता इनको पसन्द नहीं करते है जैसा कि खुद इलाके के मतदाताओं ने जानकारी दी है। यहां पर इनके सामने सपा से स्व. पारस नाथ यादव के पुत्र लकी यादव का लड़ना तय माना जा रहा है। जिसके साथ पिता के निधन की आम जन मानस में सहानुभूति है। साथ ही यह क्षेत्र सपा मतदाता बाहुल्य है। रही बात क्षत्रिय मतदाताओं की तो वह बड़ी तादात में भाजपा जिन्दाबाद कर रहा है ऐसे में दलित मतदाता कितना साथ देंगे सहज अनुमान लगाया जा सकता है। भाजपा भी किसी न किसी क्षत्रिय पर दांव लगाने को सोच रही है ऐसा सूत्र बता रहे है। इस क्षेत्र के ब्राह्मण अब तक बड़ी संख्या में स्व पारस नाथ जी के साथ नजर आते रहे है और उनके निधन पर उनके वारिस के साथ रहने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। 
इस तरह जो स्थित परिस्थिति नजर आ रही है वह पूरी तरह से मनोज सिंह सोमवंशी को किसी भी नजरिए से मजबूत एवं प्रभावी नहीं मान रही है। बसपा के ही एक पदाधिकारी ने जानकारी दी है कि कि मनोज सिंह सोमवंशी चुनाव लड़ने से बसपा कार्यकर्ताओं को रोटी का कुछ दिनों के लिये साधन जरूर मिल गया है। बसपा कार्यकर्ता प्रचार करेगा उसे खर्चे मिलेगा यहाँ पर यही मुहावरा चरितार्थ होगा "बर मरे या कन्या दक्षिणा से है मतलब " वर्तमान समय कोरोना संक्रमण काल चल रहा है खबर यह भी है कि इनके द्वारा बसपा की जो बैठके की जा रही है उसमें शोसल डिस्टेन्सिंग का कोई पालन नहीं किया जा रहा है क्या जिला प्रशासन इसे गम्भीरता से लेगा या नहीं? क्या प्रशासन सार्वजनिक रूप से सामूहिक मिटिंग करने की कोई अनुमति दिया है। इस तरह के सवाल प्रशासन के प्रति भी उठने लगे हैं। 

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