जबरा मारे रोने भी न दे,इस मुहावरे को मड़ियाहूं में चरितार्थ किया सांसद मछलीशहर के गुर्गे ने



जौनपुर। जनपद के थाना मड़ियाहूं क्षेत्र स्थित कस्बा मड़ियाहूं में सांसद मछली शहर वीपी सरोज के साथियों एवं पुलिस के बीच घटित एक मार पीट की घटना ने एक साथ कई मुहावरों को चरितार्थ किया है। इस घटना में पुलिस पिटने के बाद भी खामोश रही तो सत्ता की हनक का जबरदस्त प्रदर्शन नजारा देखने को मिला है। कमजोर लोगों पर बाघ बनने वाली पुलिस सत्ता के सामने मेमना नजर आयी है। 
यहाँ बतादे कि आज दिन में लगभग 4बजे के आसपास मछली शहर सांसद वीपी सरोज का काफिला मड़ियाहूं कस्बे से निकल रहा था। गाडिय़ों की भीड़ भाड़ के कारण जाम लगा हुआ था। काफिला जाम में फंस गया था ।इस दौरान सांसद का एक साथी वाहन से बाहर निकला और वहां पर ट्रैफिक सम्भाल रहे पुलिस कर्मी साहब लाल यादव  से ही भिड़ गया और आव देखा ना ताव तत्काल पुलिस कर्मी पर हमलावर होते हुए उस पर हाथ चला दिया। कानून में व्यवस्था है पुलिस के उपर हमला करना कानून पर हमला माना जाता है । पुलिस कर्मी कहता रहा हम इमानदारी से अपनी ड्यूटी निभा रहे थे फिर भी हम हमला क्यों किया गया है। 
इस घटना के बाद पुलिस कर्मी भी विरोध शुरू कर दिया और वाहन को लेकर थाने में पहुंच गया। हमलावर भी सीना ताने थाने पर गया इस घटना के बाद मौके पर खासी भीड़ लग गयी। 
इसकी सूचना पर अधिकारी सीओ वगैरह भी थाने पर पहुंच गये। कुछ समय तक पुलिस और हमलावर सांसद के साथी के बीच तू तू मैं मैं चला इसके बाद पुलिस के अधिकारी सत्ता के नतमस्तक होते हुए सांसद के साथी का वाहन को छोड़ते हुए उसे भी ससम्मान थाने से बाहर कर दिया। 
घटना और कार्यवाही के सन्दर्भ में पुलिस के जिम्मेदार लोगों से बात की गयी तो उनके द्वारा घटना को ही पूरी तरह से नकारते हुए कहा गया कि जाम के कारण वाहन थाने पर लाया गया था बाद में छोड़ दिया गया है। मार पीट की घटना के बाबत कहा कोई तहरीर नहीं है। जो भी हो पुलिस कार्यवाही किया नहीं किया सवाल तो यह है कि जो पुलिस एक आम  जन मानस के साथ हल्का सा विवाद हो जाने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए विवाद करने वाले का घर खोद डालती हैं। वहीं पुलिस सत्ता धारी दल के सांसद से साथी से पिटने पर घटना से क्यों मुकर गयी है । दूसरा यहाँ पर यह भी बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या सत्ता के मद में मदहोश कानून के रखवालों के उपर हमला करना जायज है। यदि नहीं तो कार्यवाही क्यों नहीं  ?

Comments

  1. सत्ताधारियो से अपनी नौकरी बचाना ही मुमकिन समझा
    पुलिस की कायरता हैं कि छोड़ दिया ये वर्दी का अपमान हैं
    एक वर्दी धारी यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता लेकिन करोगे क्या आज कल सभी पुलिस वाले घुसखोरी में मस्त हैं तो थप्पड़ खाना जायज ही हैं

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