डीआईओएस कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच आखिर कब होगी ? परीक्षा केन्द्र बनाने के नाम पर लाखों की वसूली



जौनपुर। आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहा माध्यमिक शिक्षा विभाग धनोपार्जन करके बाबू अधिकारी सब माला माल हो रहे है लेकिन शासन प्रशासन शिकायतों के बाद भी चुप्पी साधे हुए है जो उन्हें सवालों के कटघरे में खड़ा करता है। जी हां मिली खबर के अनुसार जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के अधिकारी से लगायत बाबू तक प्रत्येक काम को बगैर पैसा लिए नहीं करते है ।यहां पर पैसा ही नियम कानून है पैसा नहीं तो सभी तरह के मानक कूड़ेदान में रहते है।
ताजा मामला सामने आया है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाओं के लिए परीक्षा केन्द्र बनाने का मामला था। यहां का डीलिंग बाबू जिसका नाम रूद्र प्रताप पाल बताया जाता है के जरिए जिला विद्यालय निरीक्षक ने परीक्षा केन्द्र बनाने के लिये एक से डेढ़ लाख रुपये की वसूली प्रबंधकों से किया तब जाकर परीक्षा केन्द्र बनाया गया है। विभाग के इस खेल में करंजाकला क्षेत्र के एक विद्यालय के बाबू की भी भूमिका बतायी जा रही है। 
जहाँ से मोटी धनराशि नहीं मिली सभी मानक रहने के बाद भी ऐसे विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र नहीं बनाया गया है। सूत्र की माने तो परीक्षा केन्द्र बनाने के नाम पर डीलिंग बाबू पाल एवं डीआईओएस ने मिल कर लगभग 50 लाख रुपये तक की आमदनी प्रबन्धकों से किया है। खबर यह भी मिली है कि इस लूट पाट की आमदनी में सरकार के मंत्री तक का हिस्सा लगा है इसलिए खुली लूट का खेल बेधड़क होकर खेला गया है। 
जानकारी तो यह भी मिली है कि यहां विभाग में तैनात पाल बाबू की सम्पत्तियों की जांच करायी जाये तो इसके भ्रष्टाचार और लूट पाट के कारनामों का खुलासा जनता के सामने आ सकता है। बताया जाता है कि एक साल में इस बाबू ने लगभग एक करोड़ रुपए की जमीन खुद एवं अपने सगे सम्बन्धियों के नाम से खरीदा है। यहां पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि एक क्लर्क एक साल में एक करोड़ से अधिक की जमीन को किस आमदनी से क्रय किया है। जबकि बेतन तो बच्चों की शिक्षा आदि में चला जाता है फिर जमीन खरीदने के लिए पैसा कहां से आया। जबकि नौकरी के अलावां को दूसरा रोजगार नहीं है।जांच हो जाये तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा सम्भव है। 
एक जानकारी और भी मिली है कि जिला विद्यालय निरीक्षक विभाग में कई दलालों को पाल रखे हैं जो छोटे से लेकर बड़े काम तक के लिये खुले आम पैसे की मांग करते हैं। इन दलालों में विभाग सहित बाहरी तत्व भी शामिल बताये जा रहे हैं। शिक्षा विभाग में व्याप्त आकंठ भ्रष्टाचार से निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन सहित शासन का ध्यान आकृष्ट है अब यहाँ पर सवाल खड़ा होता है कि आखिर यहाँ के भ्रष्टाचार से शिक्षा से जुड़े लोगों को कब मुक्ति मिल सकेगी ?

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