आखिर क्यों आया अजीत सिंह हत्या काण्ड का जिन्न, जनता में छिड़ी बहस जिम्मेदार है कौन ?


एक बार फिर पूर्व सांसद धनन्जय सिंह के उपर पुलिस ने कसना शुरू किया अपना शिकंजा 

जौनपुर। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की सुबगुबाहट शुरू होते ही एक बार फिर पूर्व सांसद एवं बाहूबली नेता धनन्जय सिंह के खिलाफ पुलिस का कसता शिकंजा जनपद में चर्चा का बिषय बन गया है। आखिर जब कोई चुनाव आता है तो बाहुबली नेता के उपर कोई न कोई अपराधिक मामला क्यों खड़ा हो जाता है। इस बार फिर से लखनऊ स्थित विभूति खण्ड थाना क्षेत्र के कठौता चौराहा पर जनपद मऊ के निवासी अजीत सिंह हत्या काण्ड काण्ड का जिन्न एक बार फिर से पुलिस ने बाहर कर दिया है। 
यहां बतादे कि अजीत सिंह हत्या काण्ड में लखनऊ की पुलिस ने विवेचना के दौरान कुछ अभियुक्तों के बयान के आधार पर पूर्व सांसद  धनन्जय सिंह को साजिस कर्ता मान कर अभियुक्त बनाया। लम्बी विवेचना के बाद धनन्जय सिंह के उपर पुलिस का शिकंजा शुरू हुआ उनके आवास सहित अन्य ठिकानों पर  लगातार छापे मारी होने लगी, पुलिस के बढ़ते दबाव को देख पूर्व सांसद धनन्जय सिंह को ने अपने पहले के एक मुकदमे का बेल बान्ड कैंसिल करा कर प्रयागराज की नैनी जेल चले गये। 
इसके बाद यहां इनको फतेहगढ़ की सेन्ट्रल जेल में  शिफ्ट कर दिया गया। वहां पर पूर्व सांसद लगभग एक महीने तक रहे। इस दौरान लखनऊ की पुलिस खास कर विवेचना अधिकारी ने जेल में इनके खिलाफ वारंट बी नहीं तामिल कराया। क्यों नहीं तामिला हुआ इसका खुलासा पुलिस विभाग द्वारा आज तक नहीं हो सका है। वारंट बी का तामिला न होने पर पुनः पूर्व सांसद ने एक बेल बान्ड दाखिल कर जेल के बाहर आ गये। जेल के बाहर आने पर पंचायत चुनाव के दौरान लखनऊ की पुलिस फिर सक्रिय हुईं और उसकी मौजूदगी में जौनपुर की पुलिस ने पूर्व सांसद के ठिकानों पर छापा मारा लेकिन हाथ कुछ भी लगा।   
अब फिर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की सुबगुबाहट शुरू हो गयी है और पूर्व सांसद की पत्नी श्रीकला सिंह रेड्डी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए दावेदारी करते हुए चुनाव मैदान में है तो फिर पुलिस का शिकंजा पूर्व सांसद धनन्जय सिंह के खिलाफ कसना शुरू हो गया है। बतादे कि बीते 11 मई को अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के नेतृत्व में जिले के आधा दर्जन थानों की पुलिस मय पीएसी बल के साथ पूर्व सांसद के पैत्रिक आवास बनसफा पर लगभग एक घन्टे तक छापा मारा गया गहन तलाशी की गयी लेकिन पुलिस का हाथ खाली ही रहा। इस छापा मारी के बाबत पुलिस के अधिकारी बताये कि उपर से शासन के आदेश पर छापा मारा गया है। 
इतना ही नहीं अब पूर्व सांसद की सुरागरसी एवं कड़ी निगरानी के लिए बनसफा गांव पूराबघैला के प्राथमिक विद्यालय पर पीएसी बल की एक टुकड़ी तैनात कर दिया गया है। ताकि धनन्जय सिंह के आने की खबर मिलते ही गिरफ्तारी की जा सके। यहां सवाल इस बात का है कि यदि धनन्जय सिंह पुलिस की नजर में अजीत सिंह हत्या काण्ड के साजिस कर्ता रहे है तो पुलिस के दबाव में जेल जाने के बाद पुलिस ने वारंट बी का तामिला क्यों नहीं किया यह एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। 
यहां यह भी बता दे कि इस दौरान पूर्व सांसद एवं उनके साथियों के खिलाफ जनपद के थाना खुटहन में एक नया मुकदमा 10 मई 21 को और दर्ज कर लिया गया है। इसमें पुलिस का आरोप है कि कोरोना संक्रमण काल में कोविड 19 की गाइड लाइन का उल्लंघन किया गया है। लगभग 150 लोगों के साथ पटैला गांव में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने वाली अकीला बेगम एवं उनके भतीजे सहाबुद्दीन को बधाई देने के लिए बाजा गाजा के साथ गये थे वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने जांच किया वीडियो सही पाये जाने पर धारा 188 एवं महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर कर विधिक प्रक्रिया शुरू कर दिया गया है। जनपद में इस बात की चर्चा है कि आखिर चुनाव के ही समय पूर्व सांसद के अपराध का जिन्न पुलिस बाहर क्यों निकलती है यह किसके इशारे पर हो रहा है इसका सच क्या है क्या इसका खुलासा सरकारी तंत्र कर सकेगा?  

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