ज्योतिबा फुले महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे: दिनेश प्रताप सिंह



19 वीं सदी के सबसे बड़े समाज सुधारक थे महात्मा ज्योतीबा फुले  - गिरीश चन्द यादव 

जौनपुर। महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर भाजपा ओबीसी मोर्चा के नेतृत्व में जिला मुख्यालय स्थित सिद्दार्थ उपवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिले के प्रभारी मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने में अहम किरदार निभाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म आज के ही दिन पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी 'फुले' के नाम से जानी जाती थी। 
उन्होंने आगे कहा कि ज्योतिबा फुले महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। महाराष्ट्र में स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला। लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिबा को दिया जाता है। 
उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और सामाजिक समरसता देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केंद्र और उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार के लिए केवल कहने - सुनने की बात नहीं है, बल्कि हमारा यह कमिटमेंट है। गरीबों, वंचितों, पिछड़ों, आदिवासियों को सम्मान और समान अधिकार दिलाना महात्मा फुले का सपना था, हम उन्हीं के सपनों को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। हमारी सरकार, उनके दिखाए रास्ते पर चलते हुए, सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ समाज के हर वर्ग तक विकास का लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है। 
विशिष्ट अतिथि स्वतंत्र प्रभार खेल मंत्री गिरीश चन्द्र यादव ने कहा कि ज्योतिबा बाई फुले 19 सदी के सबसे बड़े समाज सुधारक के रूप में जाने जाते है उन्होंने सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन किये थे जिससे सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्ति मिला था। लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत हुई, जो आजादी की लड़ाई में उनके संबल बने। उन्होंने किसानों और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किया था। इस महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई।
जिलाध्यक्ष मछलीशहर राम विलास पाल ने आये हुये अतिथियों और उपस्थित जनता को आभार व्यक्त करते हुये अपने अध्यक्षीय भाषण देते हुये महात्मा ज्योतिबा बाई फुले के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुये कहा कि हम से से कोई विरले ही होते है जो समाज में व्याप्त कुरीति से लड़कर उन्हे जड़ से उखाड़ने का प्रयास करते है और उसे मिटा कर ही दम लेते है और ऐसे ही विरले व्यक्तित्व के धनी थे महात्मा ज्योतिबा फुले जी। महात्मा ज्योतिबा फुले जी का 12 वर्ष में ही शादी सावित्री बाई से करवा दी गई। ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फुले ने नारी जाति के हित में अपना पूरा जीवन लगा दिया और समाज में व्याप्त हो रही कुरीतियों को जड़ से उखाड़ दिया। ज्योतिबा ने सावित्री बाई फुले को न सिर्फ शिक्षित किया, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए इसे तैयार किया जैसे किसी सांचे से सोना तप कर तैयार होता है।
कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री पीयूष गुप्ता ने किया। इसके पहले जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंशु, प्रमोद यादव, अवधेश यादव, महिला आयोग की सदस्य शशि मौर्या, विजय लक्ष्मी साहू, गीता जायसवाल, धर्मपाल कन्नौजिया, ब्लाक प्रमुख़ गण सुनील यादव मम्मन, बृजेश यादव, जिला पंचायत सदस्य श्याम बाबू यादव, विकास शर्मा, घनश्याम यादव ,प्रमोद प्रजापति, संजीव गुप्ता, प्रदीप यादव, नीरज मौर्या, अंशु कुशवाहा, अजय सरोज, उषा मौर्या, शैलेश गिरी, रामअवतार मौर्य बलिहारी राजभर, प्रमोद गुप्ता, विपिन यादव, शिवकमल मौर्य, तीर्थ राज गुप्ता, संदीप साहू, अमर जौहरी, लखंदर राजभर, गणेश मोदनवाल, भोले राजभर, दीपक बिंद विमल भोजवाल, दुर्गा मौर्या आदि उपस्थित रहे।

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