सवाल: आखिर जौनपुर का मेडिकल कॉलेज तैयार हो कर कब जनता का स्वास्थ्य का परीक्षण कर सकेगा ?



जौनपुर । प्रदेश की योगी सरकार द्वारा जौनपुर में बनने वाले मेडिकल कॉलेज की अनदेखी अब यह प्रमाणित करने लगी है कि प्रदेश की सरकार जनपद वासियों के स्वास्थ्य चिन्ता नहीं है तभी तो अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में जनपद की सरजमीं पर निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज की कम से कम ओपीडी चालू कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। यह बात अब आम जन मानस की जुबान पर आ गयी है। मेडिकल कॉलेज की चर्चा शुरू होते ही प्रदेश सरकार के उपेक्षात्मक रवैये पर बहस शुरू हो जाती है। इतना ही नहीं भुगतान न होने के कारण अब ठेकेदार अपने सामान खिड़की दरवाजे भी निकाल कर उठा ले गये जिससे जो थोड़ी बहुत सरकार से आशा थी वह भी खत्म होने लगी है। ठीक भी है 2017 यहाँ की जनता ने जो बोया था वही तो काटेगी ।
यहाँ बतादे कि जनपद के विकास पुरुष कहे जाने वाले नेता एवं प्रदेश सरकार के मंत्री स्व. पारस नाथ यादव के प्रयासों से स्वीकृत मेडिकल कॉलेज की आधार शिला 25 सितम्बर 2014 को जब प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्वांचल विश्वविद्यालय के मैदान में रखा और 554 करोड़ रुपए का बजट की स्वीकृति एवं अक्टूबर 2017में यहाँ पर ओपीडी चालू कराने की घोषणा किया तो जनपद ही नहीं पूर्वांचल की जनता को लगा कि प्रदेश की सरकार ने आम जन मानस के  स्वास्थ्य के प्रति गम्भीर है लोग खुशी से झूम गये। आधार शिला के पश्चात मेडिकल कॉलेज का काम भी युद्ध स्तर पर शुरू हो गया। लेकिन कारदायी संस्था की कुछ लापरवाहीयों के चलते मेडिकल कॉलेज की ओपीडी निर्धारित समय पर नहीं शुरू हो सकी। 
इसके बाद प्रदेश में आम चुनाव आ गया और जनता ने सरकार बदल दिया प्रदेश की सत्ता पर योगी आदित्य नाथ जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गयी वहीं इस मेडिकल कॉलेज को ग्रहण लग गया और सरकार ने फिर इस मेडिकल कॉलेज की अनदेखी कर दी क्योंकि इसकी आधार शिला तो अखिलेश यादव ने रखा था और इसके निर्माण के लिए स्वीकृत बजट की व्यवस्था ही नहीं किया जिसका परिणाम यह है कि अब टाटा प्रोजेक्ट जो ठेका लिया था अपना भुगतान न होने के कारण यहाँ निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में लगे खिड़की दरवाजे उखाड़ कर उठा ले गया। हलांकि कारदायी संस्था राजकीय निर्माण विभाग के एमडी यू के गहलौत ने इस संदर्भ में बताया कि उखाड़े गये खिड़की दरवाजे एल्युमोनियम के थे जबकि लकड़ी का खिड़की दरवाजा लगना था इसलिए उसे हटवाया गया है। ठेकेदार ने कहा पैसे का भुगतान नहीं किया इसी लिए अपना सामान निकाल लिया गया है। हलांकि इस घटना के बाद खबर मिलने पर जिलाधिकारी मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किये लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी है।  
कारदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के एमडी श्री गहलौत ने बताया कि मेडिकल कॉलेज निर्माण हेतु शुरूआती समय में 554 करोड़ रुपए का बजट दिया गया था सरकार ने स्वीकृत प्रदान करते हुए 259.83 करोण रूपये अवमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था इसमें विभाग को 240 करोड़ रुपए मिला बाद में वर्तमान सरकार ने इसके निर्माण कार्य हेतु महज 40 करोड़ रुपए ही अवमुक्त किया है। प्राप्त बजट में से अब तक कुल 218.92 करोण रूपये खर्च किये गये है। हलांकि की सरकार के पास रिवाइज बजट का प्रस्ताव 598 करोड़ रुपए का भेजा गया है सरकार से अभी स्वीकृतिनहीं मिली है। स्वीकृति मिलने के पश्चात काम तेज गति से किया जा सकेगा। 
इस तरह कारदायी संस्था के अधिकारियों के बयान इतना तो संकेत करते है कि सरकार मेडिकल कॉलेज के प्रति खास गम्भीर नहीं है नहीं बजट की व्यवस्था कर रही है। हां इतना जरूर है कि वर्तमान सरकार ने इस मेडिकल कॉलेज का नाम जरूर बदल दिया राजकीय मेडिकल कॉलेज की जगह उमानाथ सिंह मेडिकल कॉलेज का बोर्ड लगवा दिया है। इसके अलावा इसके निर्माण अथवा ओपीडी शुरू कराने की दिशा में कोई सक्रिय प्रयास नहीं नजर आया है। हां जनता के दिखावे के लिए एक बार प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जौनपुर आये और पूरे लाव लश्कर के साथ मेडिकल कॉलेज स्थल पर पहुंचे और जिलाधिकारी को हुक्म दिया कि काम तेजी से कराया जाये जल्द से जल्द ओपीडी चालू करायी जाये उनके इस फरमान के बाद ठेकेदार ने काम को गति देने के बजाय अपना सामान ही उखाड़ लिया। काम की गति पूरी तरह से शून्य है ऐसे में नहीं लगता कि वर्तमान सरकार के शासन काल में यह मेडिकल कॉलेज जनता के स्वास्थ्य का परीक्षण कर सकेगा। जनपद ही नहीं पूर्वांचल की जनता इस मेडिकल कॉलेज को की ओपीडी न शुरू होने पर खासा निराशा महसूस कर रही है। 

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