आखिर जनपद प्रतापगढ़ में नौकरी करने से क्यों घबराते है आईपीएस अधिकारी ?



उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला है जहां सिर्फ लोगों को नहीं आईपीएस अधिकारियों को भी जाने में डर लगता है. ज्यादातर आईपीएस अधिकारी इस जिले की कप्तानी नहीं करना चाहते हैं. हम बात कर रहे हैं प्रतापगढ़ जिले की. ये वो ही प्रतापगढ़ है जहाँ सीओ जिया उल हक़ की हत्या तक कर दी गई थी. हालत ये है कि योगी सरकार में ही इस जिले के 10 आईपीएस बदले जा चुके हैं और मौजूदा कप्तान भी फिलहाल लम्बी छुट्टी पर हैं.

यूपी का आईपीएस अफसरों की पोस्टिंग के मामले में हमेशा ही खराब रिकॉर्ड रहा है. उत्तर प्रदेश के अगर किसी जिले में सबसे ज्यादा बार एसपी हटे या हटाए गए हैं तो वो जिला प्रतापगढ़ ही है. कई दफा ऐसा भी हुआ है कि किसी आईपीएस अधिकारी ने पोस्टिंग होने के बाद चार्ज नहीं लिया, तो ऐसा भी हुआ की कोई कप्तान 5 दिन बाद बदल दिया गया है. कई बार तो ऐसा भी हुआ की कप्तान ने कुछ महीने कप्तानी करने बाद ही जिला छोड़ दिया हो. मौजूदा दौर में भी प्रतापगढ़ का यही हाल है. मौजूदा कप्तान आकाश तोमर पहले 9 दिन से छुट्टी पर गए. और अब फिर लम्बी छुट्टी ले ली है.


डीजीपी ऑफिस के लिए सिर दर्द बना प्रतापगढ़


प्रतापगढ़  जिले में पुलिस अधिकारियों की तैनाती भी डीजीपी ऑफिस के लिए एक सर दर्द बन गई है. अभी भी मुख्यालय में चर्चा चल रही है कि इस जिले में किसको कप्तान बना कर भेजा जाए. हालांकि आकाश तोमर के छुट्टी जाने के बाद उनका प्रभार एल आर कुमार को दे दिया गया है. ऐसा होना भी प्रतापगढ़ के लिए कोई नई बात नहीं है मौजूदा योगी सरकार में ही 10 आईपीएस बदले जा चुके हैं जबकि 9 महीने में चार एसपी बदले गए है.


किसी ने 4 दिन तो किसी ने पोस्टिंग लेने से ही कर दिया मना


योगी सरकार में जुलाई 2019 को एसएसपी एसटीएफ रहे तेज तर्रार अधिकारी  अभिषेक सिंह को प्रतापगढ़ में बढ़ते अपराध को नियंत्रित करने के लिए भेजा गया ,तब कभी एसटीएफ के सुपर कॉप रहे आनंद प्रतापगढ़ के कप्तान थे ,लेकिन वो भी अपराध नियंत्रण नहीं कर पाए. इसके बाद 16 अगस्त 2020 को बागपत एसपी रहे संजीव त्यागी को एसपी प्रतापगढ़ बनाया गया. लेकिन संजीव त्यागी ने इस जिले का चार्ज लेने से मना कर दिया. इसके दो दिन बाद 18 अगस्त 2020 को आईपीएस अनुराग आर्य को भेजा गया लेकिन अनुराग आर्य 4 महीने ही रह पाए. उनके बाद जनवरी महीने में जिले की कप्तानी आईपीएस शिव हरी मीणा को दी गई वो भी ढाई महीने तक ही कप्तान रह पाए. 21 मार्च 2021 को आईपीएस अधिकारी सचिंद्र पटेल को तैनाती मिली लेकिन 5 दिन बाद ही उन्होंने इस जिले को थैंक यू कह दिया.


जिसके बाद पटेल की जगह इटावा में एसएसपी रहे आकाश तोमर को  26 मार्च 2021 को  प्रतापगढ़ का नया कप्तान बनाया गया. चार्ज लेने के दो महीने बाद आकाश तोमर छुट्टी पर चले गए , इस बीच तीन दिन के लिए धवल जायसवाल को चार्ज दिया गया. आकाश तोमर ने छुट्टी बढ़ावा ली तो वर्तमान में जिले की कप्तान का अतिरिक्त प्रभार एल आर कुमार के पास है.


प्रतापगढ़ कहीं रामगढ़ तो नहीं?


अब सवाल उठता है कि क्या यूपी का प्रतापगढ़ जिला शोले फिल्म का रामगढ़ है ,ये सवाल इसलिए क्योंकि ये जिला आपराधिक कारनामों को लेकर हमेशा सुर्ख़ियों में रहता है. यहां के ज्यादतर लोग मुंबई में रहते हैं लिहाज़ा यहां की जरायम की दुनिया फिल्मों से प्रभावित रहती है. तमाम तरह के माफियाओं की नर्सरी यहां की जमीन पर फलती फूलती रही है, चाहे वो शराब माफिया हों या फिर भूमाफिया. यहां की भौगोलिक जमीन और मिश्रित आबादी भी इसको बढ़ावा देती है.

पुलिस के मुताबिक जिले में करीब तीन दर्जन शराब माफिया है. यूपी के पूर्व डीजीपी अरविन्द कुमार जैन के मुताबिक अवैध शराब के इस बड़े कारोबार पर जब भी पुलिस सख्ती करने की कोशिश  करती है तो उन्हें बैकफुट पर आना पड़ता है. जब पुलिस कार्रवाई करती है तो राजनीतिक हस्तक्षेप आड़े आ जाता है. यह किसी भी नए आईपीएस के कामकाज पर असर डालता है और मनोबल टूट जाता है जिसके चलते या तो आईपीएस सही परफॉर्म नहीं कर पाता या फिर खुद ही कप्तानी छोड़ देते हैं.


प्रतापगढ़ ऐसा जिला है जहां पर सूबे की सरकार के साथ ही यहां के बाहुबली नेताओं की भी सरकारें चलती हैं. प्रतापगढ़ जिले में राजा भैया अपने इलाके कुंडा में, प्रमोद तिवारी का अपना रामपुर खास के इलाके में और मौजूदा मंत्री मोती सिंह का अपना क्षेत्र है. राजकुमारी रत्न सिंह का काला कांकर इलाके में प्रभाव है तो बीजेपी विधयक अभय उर्फ़ धीरज ओझा का रानीगंज इलाके में प्रभाव है  ऐसे में राजनीतिक हस्तक्षेप पुलिस को काम करने में में दिक्कत पैदा करता है.।

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