एसटीएफ का खुलासा:जाली दस्तावेज के सहारे शिक्षक बनाने वाले जालसाज गिरोह का पर्दाफाश तीन हुए गिरफ्तार


उत्तर प्रदेश में फर्जी शिक्षक खुद गिरोह बनाकर जाली दस्तावेजों व साल्वर गैंग की मदद से बड़ा खेल कर रहे हैं। अलग-अलग जिलों में लगातार फर्जी शिक्षकों की न सिर्फ भर्ती कराई जा रही है, बल्कि प्रयागराज स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी सत्यापन तक कराए जा रहे थे। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने ऐसे एक बड़े गिरोह के सरगना समेत तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जो विभिन्न जिलों में फर्जी दस्तावेजों के जरिये 100 से अधिक शिक्षकों की भर्ती करा चुका है। अब उसकी निगाह इसी वर्ष हुई टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक)/पीजीटी (परास्नातक शिक्षक) भर्ती परीक्षा के रिजल्ट में धांधली कराने की थी। एसटीएफ अब परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के लिपिक नरेंद्र कन्नौजिया समेत कई फर्जी शिक्षकों की तलाश कर रही है। सरगना राम निवास के खाते में 19 लाख रुपये फ्रीज भी कराए गए हैं।
एसटीएफ ने लखनऊ में गोमतीनगर क्षेत्र स्थित पिकप तिराहे के पास से शुक्रवार को फीरोजाबाद निवासी राम निवास उर्फ राम भइया, आगरा निवासी रविंद्र कुमार उर्फ रवि तथा गाजियाबाद निवासी संजय सिंह को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ के सीओ प्रमेश कुमार शुक्ला के अनुसार गिरोह का सरगना राम निवास वर्ष 2013 में फर्जी दस्तावेजों की मदद से देवरिया के एक जूनियर हाईस्कूल स्कूल में शिक्षक भर्ती हुआ था, लेकिन बाद में त्यागपत्र दे दिया था। उसका साथी रविंद्र कुमार देवरिया के बनकटा प्राथमिक विद्यालय में फर्जी शिक्षक है। तीसरा साथी संजय सिंह दिल्ली स्थित डाटा साफ्ट कंप्यूटर सर्विसेज कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर है।
तीनों शुक्रवार को लखनऊ में टीजीटी/पीजीटी परीक्षा का रिजल्ट बनाने में शामिल एक कंपनी के कर्मचारी से मिलने आए थे। तीनों के बयानों के आधार पर संबंधित कंपनी व उसके कर्मी के बारे में भी छानबीन की जा रही है। राम निवास से पूछताछ में सामने आया है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिये देवरिया में शिक्षक की नौकरी हासिल कर चुके विनय तिवारी व कुशीनगर में फर्जी शिक्षक मनीष यादव उसके करीबी साथी हैैं। यह दोनों भी वर्ष 2013 में फर्जी शिक्षक बने थे और वर्ष 2016 में हुई 15,000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में सेंध लगाने के लिए राम निवास ने दोनों से संपर्क किया था।
राम निवास ने विनय तिवारी को 90 लाख रुपये देकर अपने 15 कंडीडेट फर्जी दस्तावेजों की मदद से भर्ती कराए थे। सभी की देवरिया में नियुक्ति भी हो गई थी। हालांकि गड़बड़ी पकड़े जाने पर सभी को बर्खास्त कर दिया गया था। राम निवास पर रकम वापसी का दबाव बनाने पर उन 15 कंडीडेट को वर्ष 2017 में 68,500 तथा वर्ष 2018 में 69,000 पदों पर हुई प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में शामिल कराया गया था और फर्जी दस्तावेजों के जरिये उनकी फिर भर्ती करा दी गई थी। राम निवास ने बताया कि इन दोनों वर्षों की प्राइमरी शिक्षकों की चयन प्रक्रिया से जुड़े विवरण विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध थे, जिसे कोई भी देख सकता था।
वेबसाइट देखने से पता चला कि कई अभ्यर्थी ऐसे थे, जिनका वर्ष 2017 व 2018 दोनों में चयन हुआ था। एक चयन प्रक्रिया में ज्वाइनिंग के बाद दूसरी चयन प्रक्रिया का पद रिक्त हो गया था। रिक्त पद से जुड़े कंडीडेट के नाम के फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर राम निवास ने अपने कंडीडेट भर्ती करा दिए। फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में अध्यापक शिवम व शिकोहाबाद निवासी छोटू की भूमिका भी पाई गई है।

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