पंचायत के चुनाव में जनता ने ग्लैमर और वालीवुड के लटके झटके को बुरी तरह से नकारा



जौनपुर। पंचायत के चुनाव में जनपद के गांव की जनता ने वालीवुड के लटके झटके को बैकफुट पर धकेलते हुए गांव के सामान्य ग्रामीण अथवा अपने बीच हमेशा रहने वालों को सम्मान देते हुए गांव की सरकार का दायित्व सौंपा है। पंचायत चुनाव में गांव के मतदाताओं के निर्णय से साफ संकेत मिला है कि अब वालीवुड का लटका झटका ग्रामीण जनों को भ्रमित नहीं कर सकता है। जनता जागरूक है और अपने मतों को ग्लैमर की दुनियां से दूर ही रखना चाहती है। 
यहां बता दे जनपद में सदर तहसील स्थित विकास खण्ड बक्शा के वार्ड संख्या 26 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव वालीवुड की हेरोइन एवं मिस इन्डिया की रनर अप दीक्षा सिंह अपने लटके झटके के साथ पंचायत चुनाव में कूदी और जनता की सेवा के बड़े बड़े दावे किये, खुद को जिला पंचायत अध्यक्ष का दावेदार घोषित करती रही। मतगणना के बाद यह बात साफ हो गयी है कि मतदाता इनके कोरे वादे को सुनते जरूर थे लेकिन इन पर विश्वास नहीं किया। इन्हें चुनाव में पाँचवे स्थान पर धकेल का पहुंचा दिया। अपने बीच की रहने वाली सामान्य महिला नगीना सिंह को अपना नेता चुन लिया है। 
इसी तरह तहसील मछली शहर क्षेत्र स्थित ग्राम सभा करियांव में ग्राम प्रधान के पद पर वालीवुड के फिल्म निर्माता पिन्टू सिंह प्रधान बनने का सपना लिए चुनाव मैदान में कूद पड़े थे उनके सामने गांव की बाजार मीरगंज में रहने वाली किन्नर आशा चुनाव जंग में थी इस गांव के मतदाताओं ने एक तरफा मतदान करते हुए किन्नर आशा पर विश्वास किया उसे गांव का प्रधान चुन लिया। पिन्टू सिंह को गांव की जनता ने इतना नकारा कि तीसरे स्थान पर धकेल कर पहुंचा दिया है। पिन्टू सिंह भी वालीवुड का लाली पाप दिखाते हुए मतदाताओं को खूब रिझाया, विकास के बड़े बड़े दावे किये लेकिन जनता जानती थी कि वह चुनाव जीतने के बाद मुंबई चले जा सकते है और अपना नेता मानने से इनकार कर दिया है। 
इसी तरह मड़ियाहूं तहसील के विकास खण्ड बरसठी के वार्ड संख्या 51से जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव लड़ रही उर्वशी यादव पत्नी वेद प्रकाश यादव एवं पुत्रवधू स्व पारस नाथ यादव खुद को लंदन रिटर्न का ग्लैमर गांव की जनता को खूब दिखाया जिला पंचायत अध्यक्ष का दावेदार भी बताया लेकिन मतगणना के बाद परिणाम आने पर साफ हो गया कि मतदाता ग्लैमर को स्वीकार नहीं किये ये भी चुनाव जीतना तो दूर तीसरे स्थान पर नजर आयी है। 
इस तरह इन तीनों घटनाओं से यह साबित हो गया है कि गांव की सरकार में जनता ग्लैमर अथवा वालीवुड के लटके झटके में आने वाली नहीं है। वह अपना प्रतिनिधि अपने बीच के लोगों को चुनना पसंद करती है और आगे भी ऐसा ही करती रहेगी। ऐसी चर्चायें ग्रामीणान्चल की जनता के बीच हो रहा है।  

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