चालीस साल से अपराध करते हुए बचते रहने वाले अतीक अहमद को पहली बार आया फैसला, मिली सजा, जानें इतिहास


चालीस साल से अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह रहे माफिया अतीक अहमद को पहली बार किसी मुकदमे में सजा सुनाई गई है। वह भी आजीवन कारावास की। इसके पहले कोई भी मुकदमा अंजाम तक पहुंचने से पहले ही अतीक अपनी साजिश से उसे निपटा देता था और बच निकलता था। उमेश पाल के अपहरण के केस में उसे आखिरकार सजा मिल ही गई। 
शातिर अपराधी अतीक अहमद के खिलाफ यूं तो 101 मामले दर्ज हैं लेकिन पहली बार ऐसा कि किसी मामले में फैसला आया है। उमेश पाल अपहरणकांड में अदालत मंगलवार को सजा का ऐलान कर दिया। उसके खिलाफ जितने मामले में चल रहे हैं, अधिकांश में गवाह बाद में मुकर गए। उमेश पाल ने अपने अपहरण के मामले को लगभग अंजाम तक पहुंचा दिया, लेकिन फैसले से एक महीना पहले उनकी हत्या कर दी गई।
अतीक के खिलाफ पहला मामला 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही राजनीतिक रूप से उसका रुतबा भी बढ़ता गया। 1989 में वह पहली बार विधायक हुआ तो जुर्म की दुनिया में उसका दखल कई जिलों तक हो गया।
1992 में पहली बार उसके गैंग को आईएस 227 के रूप में सूचिबद्ध करते हुए पुलिस ने अतीक उसे गिरोह का सरगना घोषित कर दिया। 1993 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड ने अतीक को काफी कुख्यात किया। गैंगस्टर एक्ट के साथ ही उसके खिलाफ कई बार गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की गई। एक बार तो उसपर एनएसए भी लगाया जा चुका है। जुर्म और राजनीति के साथ साथ अतीक अब ठेकेदारी और जमीन के धंधे में भी कूद पड़ा।
जमीन की खरीद फरोख्त और रंगदारी से अतीक ने ही नहीं उसके गुर्गों ने अकूत संपत्ति बना ली। अतीक का खौफ इतना था कि उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं करता था। अगर कर भी दिया तो बाद में गवाह मुकर जाते, कई बार वादी ने ही लिखकर दे दिया कि उसने अतीक के खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया था।
समय बीतने के साथ जुर्म की दुनिया में अतीक नए तरीके से काम करने लगा था। अपने दुश्मनों और विरोधियों से वह सीधा नहीं लड़ता था। उसके किसी दुश्मन को तैयार कर उसे पैसे और हथियार देकर वह मरवा देता। इस तरह सैकड़ों केस हुए जिसमें अतीक का कहीं नाम ही नहीं आया। सालों बाद राजू पाल हत्याकांड में अतीक का सीधा नाम आया तो उसके दुर्दिनों की शुरूआत हो गई। अगले ही साल ने उमेश पाल का अपहरण कर अतीक ने अपने पैरों पर जैसे कुल्हाड़ी ही मार ली।
यह अपहरणकांड एकमात्र ऐसा केस है जो फैसले तक पहुंच गया। हालांकि अतीक ने उमेश की हत्या करवा ही दी। अगर कोर्ट मंगलवार को अतीक के खिलाफ कोई फैसला लेती है तो उसकी जिंदगी की पहली सजा होगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने अतीक के खिलाफ कई गंभीर मुकदमों को सन 2001, 2003 और 2004 में वापस ले लिया था। कई मामलों में तो पुलिस ने अतीक की नामजदगी को गलत बता एफआर लगा दी थी।

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